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जिद्द
सुरभि अपने माता-पिता के इकलौती बेटी थी। बचपन से ही वह बहुत जिद्दी स्वभाव की थी। उसके माता-पिता उसकी हर एक मांग को तुरंत पूरा करते थे।
विद्यालय में भी वह अपनी मनमानी करती थी। सभी बच्चे उससे डरते थे।
एक दिन विद्यालय में छूट्टी का घंटी बजने ही वाला था कि अचानक तेज वारिश शुरू हो गई। हवा तेज़ - तेज बहने लगी। हेडमास्टर साहब ने सभी बच्चों को शांतिपूर्वक बैठने की हिदायत दी, एवं वारिश थमने पर ही घर जाने की बात कहा।
सभी बच्चे बारिश थमने का इंतजार करने लगे। सुरभि के घर से उसे लेने ड्रायवर कार लेकर शाला के बाहर खड़े थे। सुरभि के मन में एक विचार आया । वह पेट दर्द का झूठा बहाना बनाकर हेडमास्टर से छूट्टी मांग कर कार में बैठ कर घर की ओर चली गई।
अभी आधे दूर तक पहुंचीं ही थी तभी पानी तेज बरसने लगा। रास्ते में पानी भर गया। सब कुछ बहने लगा। ड्रायवर को कार रोक देनी पड़ी। तभी तेज बहाव के साथ कार बहने लगा। सुरभि डर से रोने लगी। चारों ओर हाहाकार मच गया। तभी बचाव कर्मी का दल भेजा गया ,जो पानी में फंसे लोगों को बचाने में मदद करने लगा। सुरभि का कार जाकर एक पेड़ से टकराया। कार रूक गया। बचावकर्मी दोनों को सुरक्षित बाहर निकालें।
बारिश थमने से सुरभि घर जाकर अपने मम्मी- पापा को सारी बातें बतिकर अपने गलती के लिएमाफी मांगी
दूसरे दिन विद्यालय पहुंचकर वह हेडमास्टर साहब से भी अपनी झूठ बोलने की बातबताकर माफी मांगती है और भविष्य में इस तरह की हरकतें न करने की बात कहती हैं।
इस घटना के बाद सुरभि आगे जिद्द करना छोड़ देती है। सब बच्चें अब उससे मित्रता कर लेते हैं।
रीता चटर्जी