हार
सालों पहले की बात है जमुनापुर नाम के छोटे से के गांव में देवा अपना हजामत का छोटा सा कारोबार चलाता था। वैसे वो जन्म से हजाम नहीं था उसने हजामत सीखी अपने पिता के दोस्त से। बस यही एक चीज़ थी जो उसे आती थी तो उसका ही काम शुरू कर दिया। मगर नीची ज़ात का था इसलिए ज़्यादा लोग उसके वहां हजामत करवाने नहीं आते थे। वही बंधे हुए गांव के पिछड़े भाग के चालीस पचास लोग आते थे जिनसे इतना तो कमा लेता था जिससे भूखा न सोना पड़े।पत्नी बीना भी बड़े घरों में छोटा मोटा काम कर लेती और गुज़ारा चल जाता था।
शादी के कुछ सालों बाद बीना ने देवा को ख़ुशख़बर सुनाई और नौ महीने बाद बीना ने एक बेटे को जन्म भी दिया। पर अफ़सोस बीना ख़ुद को न बचा पाई। देवा बीना की मौत से बहुत टूट गया मगर अपने बेटे को संभालना भी उसकी ज़िम्मेदारी थी। अपनी ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए और अपने बेटे को अच्छा जीवन देने के इरादे से देवा ख़ुद को भावुक होने से रोक कर जल्द ही काम पर लग गया।
देवा पढ़ना चाहता था बड़ा आदमी बनना चाहता था मगर पिता के पास पैसों की कमी और तीन भाई बहनों में सबसे बड़े होने की वजह से उनकी ज़िम्मेदारियां सभी अकेले देवा पर थी। पिता की मौत के बाद और छोटे भाई जीवा की तानाशाही की वजह से देवा ने अपना गांव छोड़ दिया था।
ख़ुद का सपना तो पूरा न हो सका पर अपना सपना वो अपने बेटे की आंखों से देखने लगा।
जो हार उसको जीवन से मिली वो जीत को न मिले उसी वजह से उसने मेहनत करना शुरू कर दिया।
समय बीतता गया और जीत समय के साथ साथ बड़ा होता गया । देवा तो अब भी उसी लगन से अपना काम करता था। जीत पढ़ाई में अच्छा था और अच्छे नंबर से हमेशा देवा का सिर गांव में गर्व से ऊंचा रखता था। सोलह साल बीत गए और जीत दसवीं की परीक्षा भी दे...
शादी के कुछ सालों बाद बीना ने देवा को ख़ुशख़बर सुनाई और नौ महीने बाद बीना ने एक बेटे को जन्म भी दिया। पर अफ़सोस बीना ख़ुद को न बचा पाई। देवा बीना की मौत से बहुत टूट गया मगर अपने बेटे को संभालना भी उसकी ज़िम्मेदारी थी। अपनी ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए और अपने बेटे को अच्छा जीवन देने के इरादे से देवा ख़ुद को भावुक होने से रोक कर जल्द ही काम पर लग गया।
देवा पढ़ना चाहता था बड़ा आदमी बनना चाहता था मगर पिता के पास पैसों की कमी और तीन भाई बहनों में सबसे बड़े होने की वजह से उनकी ज़िम्मेदारियां सभी अकेले देवा पर थी। पिता की मौत के बाद और छोटे भाई जीवा की तानाशाही की वजह से देवा ने अपना गांव छोड़ दिया था।
ख़ुद का सपना तो पूरा न हो सका पर अपना सपना वो अपने बेटे की आंखों से देखने लगा।
जो हार उसको जीवन से मिली वो जीत को न मिले उसी वजह से उसने मेहनत करना शुरू कर दिया।
समय बीतता गया और जीत समय के साथ साथ बड़ा होता गया । देवा तो अब भी उसी लगन से अपना काम करता था। जीत पढ़ाई में अच्छा था और अच्छे नंबर से हमेशा देवा का सिर गांव में गर्व से ऊंचा रखता था। सोलह साल बीत गए और जीत दसवीं की परीक्षा भी दे...