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"हाथ मिलाने रुक जाना.."P2: letter-२
जब भुला ही नहीं पाया मे तुम्हे तोे, याद दिलाने का कोई सवाल ही नहीं उठता मगर तुम्हे भुलने का नाटक करने की वजाह क्या है? पता हैं? एक वक्त था जब मे चाहता था के तुम मझसे बात करो ओर आज ये वक्त है की तुम मुझसे बात करना चाहते हो तुम्हारे आँखो मे देखा मैने और इसी चीज को देखकर मैंने ये नाटक किया । तब तुम मुझे समझ नही पायी थी और आज मैंने तुम्हे समजने से इनकार कर दिया ।
सच तो ये है की मे तुम्हे रोज याद करता हूँ मगर तुम्हे दिखाना नही चाहा ।
मुझे पता चला की मेरे माँ को आज तुमने बचाया था । मैंने तुम्हारे साथ किये गलत बर्ताव को तुमने ध्यान ना देकर मेरे माँ की मदत की ओर आज
तुमने मेरे दोस्ती का मान रखा । हमारा बीता कल कैसा भी हो मगर वो भुलके हमे एक नयी शुरुवात करनी चाहिए थी । मैंने आज तुम्हारे साथ गलत किया और अब मैंने हमारी आज ही एक मुलाकात arrange की है जो तुम्हारे लिए unexpected होगी । जिसमें मे तुमसे माफी मांगकर के नयी शुरुवात करना चाहता हूँ । हमारी दोस्ती रहेगी ! और बस रहेगी ही ।
और एक चीज के लिए माफी चाहता हूँ । तुम हाथ मिलाने खातिर रुकी थी मगर मे चला गया । मैं हाथ मिलाने खातिर भी नही रुका ! आज हर गलतफैमी दूर हो जाएगी । हमारी दोस्ती के खातिर जो मुलकात जरूरी थी वो पूरी हो जाएगी ! पूरी हो जाएगी ..
तुम्हे लिखे सारे लेटरस् दिखाऊंगा मे तुम्हे ! और मुझे पता है के तुम मुझपर पूरा भरोसा करोगी । अब आज हाथ मिलाने के लिए रुक जाएँगे । इस दोस्ती के खातिर झुक जाएँगे !
- Nitesh


© Srushti Mahajan