...

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इक ख़त
आज इतवार है मुझे घर जाना है.."
"बहुत थकान लगी है आज"

दो अलग अलग पंक्तियां आपके प्रेम की गहराई दर्शाती है, लोग हफ्तेभर की दौड़धाम से दूर इतवार को अपनी थकान मिटाने घर जाते हैं! ये कैसी विडंबना है की लोग मन का सुकून पाने के लिए प्रेम ढूंढते हैं और अपनी देह कि थकान मिटाने के लिए कोई घर.. दो अलग अलग जगह पर मिलने वाली दोनों अलग अलग राहत आदमी को अंदर से बांट देती है.. कहां थकान मिटानी है और कहां उसका सुकून है उसी कन्फ्यूजन में वह दोनों तरफ़ से अधुरा महसूस करता हैं... जब तुम्हारे प्रेम में पड़ा कोई कभी अपनी मुश्किलों में परेशान हो और ख़ामोश हो तो सुनना उसकी ख़ामोशी की धुन ,चखना उसके आँसुओं से लिपटे शब्दों का स्वाद ,देना उसे सहारा अपने कंधों का ,ताकि वो कह सके वो घुटन जिसे वो ज़माने में बहादुरी के दम से छिपाए बैठा है...देना उसे अपने कंधे का सहारा जहां वो अपनी हफ्ते भर की थकान को टांग सके, और अपनी दोनों बाहें फैलाए उनकी सारी परेशानियां समेत उसकी तकलीफों को बेझीझक सुना सके..वो बिना कोई शरम फफक फफक के रो सके... दर्द से टूट सके, अपनी हार की कहानी सुना सके, अपने प्रयत्नों की भाषा समझा सके और उसे पुरी तरह से ज्ञात हो कि उसकी हफ़्ते भर की सारी परेशानियों का यही पता है!!सुनो प्रेमियों तुम हो सके किसी का ऐसा घर बनना ...जहां हफ़्ते के खतम होते होते वो तुम्हें ढूंढे जहां उसकी देह की थकान को राहत हो और उसके अधमरे मायूस मन को सुकून.... अगर ऐसा घर बन सको तो समझना कि ये तुम्हारा इश्क़ है..!! 🖤🖤
© Mishty_miss_tea