इक ख़त
आज इतवार है मुझे घर जाना है.."
"बहुत थकान लगी है आज"
दो अलग अलग पंक्तियां आपके प्रेम की गहराई दर्शाती है, लोग हफ्तेभर की दौड़धाम से दूर इतवार को अपनी थकान मिटाने घर जाते हैं! ये कैसी विडंबना है की लोग मन का सुकून पाने के लिए प्रेम ढूंढते हैं और अपनी देह कि थकान मिटाने के लिए कोई घर.. दो अलग अलग जगह पर मिलने वाली दोनों अलग...
"बहुत थकान लगी है आज"
दो अलग अलग पंक्तियां आपके प्रेम की गहराई दर्शाती है, लोग हफ्तेभर की दौड़धाम से दूर इतवार को अपनी थकान मिटाने घर जाते हैं! ये कैसी विडंबना है की लोग मन का सुकून पाने के लिए प्रेम ढूंढते हैं और अपनी देह कि थकान मिटाने के लिए कोई घर.. दो अलग अलग जगह पर मिलने वाली दोनों अलग...