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जमीन (भाग ३)
सात बज चुके थे ‌।सारिका घर पहुंच चुकी थी।
घर पर दोनों भाई रामानुज व सुशील भी पहुंच चुके थे। मां रसोई में थी। उन्होंने कहा, सारिका बेटा, मुंह हाथ धोकर फ्रैश हो जाओ और मैं चाय बनाकर लाती हूं।
मां ने सारिका के चेहरे की उदासी को भांप लिया था। अतः चाय पीते पीते मां ने पूछा, बेटा,आफिस में सब ठीक-ठाक है न ।
हां, मम्मी जी, सब ठीक है। सारिका ने कहा।
मम्मी जी:-सारिका बेटा,तुम मुझसे कुछ छिपा रहे हो। इतनी उम्र हो गई है मेरी, बच्चों के मन में क्या है,अब सब पता चल जाता है।
अच्छा बताओ, तुम्हारे ताऊ जी के जमीन के
आवेदन पर क्या कार्यवाही हुई है?
सारिका:-मैने तहसीलदार की रिपोर्ट के आधार पर लिख दिया था कि जमीन के मालिकाना हक के सत्यापन के बिना उन को
"लैंड यूज़ चेंज"की अनुमति नहीं दी जा सकती है।इस पर रख डी.एम.साहब ने मुझे एक बार पुनरावलोकन करने के लिए लिख दिया।
भाई रामानुज और सुशील यह बात सुन रहे थे। रामानुज एम.एस सी.दितीय वर्ष एवं सुशील बी.काम. प्रथम वर्ष के छात्र थे। रामानुज ने ने कहा, मम्मी जी साठ एकड़ जमीन थोड़ी नहीं होती ‌।यदि बुआ जी अपना हिस्सा नहीं ले रही हैं तो हमारे पापाजी के हिस्से में बीस एकड़ जमीन आती है जिसकी कीमत आज डेढ़ लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से तीस लाख रुपए होती है।दादा जी की जमीन में हमारा कानूनी हिस्सा हमको मिलना ही चाहिए। अभी तो जमीन भी स्वर्गीय दादा जी के नाम पर ही है। हमें अपना हिस्सा तो लेना ही चाहिए। सुशील जो अब तक चुपचाप बातें सुन रहा था,एकाएक बोल उठा,जो जमीन उनकी है ही नहीं, उस पर कोई कैसे कुछ भी बना सकता है और मुझे तो उच्च अधिकारियों की समझदारी पर भी आश्चर्य होता है कि क्यों वे फिर से दुबारा विचार करने के लिए लिख रहे हैं?
अगर ताऊ जी ने हमारा हिस्सा देना होता तो वह अब तक दे चुके होते। हम न्यायालय में जाकर इंसाफ के लिए लड़ेंगे। रामानुज ने ेकहा।
अरे, अरे ....यह मम्मी जी को क्या हो गया?
मां को कुर्सी से गिरते देख कर सारिका और सुशील ने एक साथ कहा।
मां नीचे गिर गई थी और बेहोश हो गईं‌ थीं।
रामानुज, सारिका और सुशील ने मिलकर मां को उठाया।
सारिका ने हौस्पिटल में फोन‌ मिलिकर एंबुलेंस
मंगवा लीं।
कुछ देर बाद वे सब हौस्पिटल में थे। इमरजेंसी में उनकी मम्मी को एडमिट किया गया। उन्हें दिल का आघात पहुंचा था। डाक्टर ने बताया कि इन्हें आई सी यू में ऐडमिट करना पड़ेगा।सारिका ने कार्यालय से एक सप्ताह का अवकाश पर ले लिया था।
पांच दिन बाद हौस्पिटल से मां को छुट्टी दे दी गई। मां अब घर आ गई थीं। डाक्टर ने उन्हें सभी मानसिक तनाव से दूर रहने की सलाह दी थी। सारिका रामानुज और सुशील ,तीनों
ही बहुत घबरा गये थे। पांच दिन मां हौस्पिटल में रहीं।
सब रिश्तेदारों को इसकी सूचना दे दी गई थी परन्तु केवल मौसी जी और मामाजी के अलावा कोई पूछने नहीं आया था।अब सारिका ने भी सोच लिया था कि वह इस जमीन को अवश्य लेंगी और जमीन के मामलों का तनाव मम्मी जी को बिल्कुल नहीं देंगी।
बेटा, पानी ले आना। मां ने रामानुज से कहा।
पुत्र रामानुज का अपनी मां से विशेष मोह था। पांचों रात उसने ही हौस्पिटल‌ में अपनी मां की सेवा की थी।दिन में सुशील और सारिका देखभाल करते थे। रामानुज शाम को कक्षा १० और १२के बच्चों को होम ट्यूशन भी देते थे और स्वयं भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने सोच लिया कि अब मम्मी जी को बिल्कुल भी तनाव पूर्ण माहौल में न रहने देंगे। यही सोचता सोचता वह मां के लिए पानी लाने रसोई की ओर चल दिया
रामानुज ने मन ही मन एक निर्णय ले लिया था।

‌.................जारी है....

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