पागल
एक बार एक पढ़ा लिखा पागल, पागलखाने से डॉक्टर के कपड़े चुरा कर भाग निकला।
अच्छे कपड़ों में उसका पागलपन दब गया था। चलते-चलते वह एक रेस्त्रां के सामने पहुँच गया।
शीशे के पार से खाना खाते लोगों को देखा उसे भूख भी लग आयी।तभी एक परिवार अंदर जा रहा था, उनके साथ वह भी डायनिंग हॉल में पहुँच गया।
अंदर आज एक पार्टी चल रही थी। उसने प्लेट उठाई और मनपसंद भोजन का आनंद लिया।
फिर किसी को उसके हाव-भाव...
अच्छे कपड़ों में उसका पागलपन दब गया था। चलते-चलते वह एक रेस्त्रां के सामने पहुँच गया।
शीशे के पार से खाना खाते लोगों को देखा उसे भूख भी लग आयी।तभी एक परिवार अंदर जा रहा था, उनके साथ वह भी डायनिंग हॉल में पहुँच गया।
अंदर आज एक पार्टी चल रही थी। उसने प्लेट उठाई और मनपसंद भोजन का आनंद लिया।
फिर किसी को उसके हाव-भाव...