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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में एक दास्तान संवाद केंद्र।।
वैशया-जी साहब मार लीजिये साहब! अगर आपका मुझे मार पीट कर शांत हो सकता है?
तो शांत कर लीजिये! मैं आपकी दोषी हूं और आपका मुझे सज़ा देने का पूरा हक़ बनता है , आपको जो ठीक लगे वो कर लीजिए साहब !

शेखर नरमी दिखाते हुए बोला -मुझे माफ़ करना मैं तुम पर चीखा चिल्लाया तुम गुस्सा किया ! परन्तु क्या मैं जान सकता हूं ? तुम्हें दूसरों के हसते खेलते परिवार को उजाड़ कर क्या मिलता है ?

वैशया अपने छुपे हुए दर्द को रोक ना सकी और रोते हुए बोली और क्या करूं साहब और क्या करूं मैं ?जिन मर्दों ने मेरे घर को उजाड़ है,उनको हंसते हुए कैसे देख सकती हूं मैं? मेरे मन में उनके लिए ज्वाला फूटने लगता है , जब भी किसी मर्द को देखती हूं तो !

वेशया की बातों को सुनकर शेखर का गुस्सा बातों बदल गया !

शेखर -किन मर्दों ने तुमहारा घर उजाड़ा ? और क्यूं ?बताओ मुझे!
#अधूरा