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अपरचित !!!!
शिप्रा का रिजर्वेशन जिस बोगी में था, उसमें लगभग सभी लड़के ही थे ।टॉयलेट जाने के बहाने शिप्रा पूरी बोगी घूम आई थी, मुश्किल से दो या तीन औरतें होंगी । मन अनजाने भय से काँप सा गया ।

पहली बार अकेली सफर कर रही थी, इसलिये पहले से ही घबराई हुई थी। अतः खुद को सहज रखने के लिए चुपचाप अपनी सीट पर मैगज़ीन निकाल कर पढ़ने लगी ।

नवयुवकों का झुंड जो शायद किसी कैम्प जा रहे थे, के हँसी - मजाक , चुटकुले उसके हिम्मत को और भी तोड़ रहे थे ।

शिप्रा के भय और घबराहट के बीच अनचाही सी रात धीरे - धीरे उतरने लगी ।सहसा सामने के सीट पर बैठे लड़के ने कहा -हेलो , मैं साकेत और आप ? "भय से पीली पड़ चुकी शिप्रा ने कहा --" जी मैं .कोई बात नहीं , नाम मत बताइये । वैसे कहाँ जा रहीं हैं आप शिप्रा ने धीरे से कहा--"इलाहबाद क्या इलाहाबाद.वो तो मेरा नानी -घर है। इस रिश्ते से तो आप मेरी बहन लगीं ।" खुश होते हुए साकेत ने कहा ।और फिर इलाहाबाद की अनगिनत बातें बताता रहा कि उसके नाना जी काफी नामी व्यक्ति हैं , उसके दोनों मामा सेना के उच्चअधिकारी हैं और ढेरों नई - पुरानी बातें ।शिप्रा भी धीरे - धीरे सामान्य हो उसके बातों में रूचि लेती रही । शिप्रा रात भर साकेत का हाथ पकड़ के सोती रह रात जैसे कुँवारी आई थी , वैसे ही पवित्र कुँवारी गुजर गई ।

सुबह शिप्रा ने कहा - " लीजिये मेरा पता रख लीजिए , कभी नानी घर आइये तो जरुर मिलने आइयेगा ।कौन सा नानीघर बहन ? वो तो मैंने आपको डरते देखा तो झूठ - मूठ के रिश्ते गढ़ता रहा । मैं तो पहले कभी इलाहबाद आया ही नहीं ।" क्या.चौंक उठी शिप्रा ।

"बहन ऐसा नहीं है कि सभी लड़के बुरे ही होते हैं, कि किसी अकेली लड़की को देखा नहीं कि उस पर गिद्ध की तरह टूट पड़ें । हम में ही तो पिता और भाई भी होते हैं ।"

कह कर प्यार से उसके सर पर हाथ रख मुस्कुरा उठा साकेत ।

शिप्रा साकेत को देखती रही जैसे कि कोई अपना भाई उससे विदा ले रहा हो शिप्रा की आँखें गीली हो चुकी थी काश इस संसार मे सब ऐसे हो जाये न कोई अत्याचार ,न व्यभिचार ,भय मुक्त समाज का स्वरूप हमारा देश,हमारा प्रदेश, हमारा शहर,हमारा गांव जहाँ.सब.बहन ,बेटियों,खुली हवा में सांस ले सकें निर्भय होकर कहीं भी कभी भी आ जा सके जहाँ जर कोई एक दूसरे का मददगार हो 🤔तब रिक्से वाले ने आवाज लगाई बहन कहा चलना है कॉलेज तक चलना है भाई ले चलोगे आज वो डरी नहीं ।भाई जो साथ था✍❤️

© JUGNU