शोर - ए - अजमत ( شورِ عظمت
गमों ने सींचा है मुझे
आशुओं ने संवारा है
आह तड़प ने मुझमें हौसला भरा
और तन्हाई ने निखारा है
जब उद्गम मेरी कहानी की
सैलाब है तूफान है ।
जब अपने आत्म विश्वास और सामर्थ्य पे
गुमान है अभिमान है
फिर इन बुजदिल साजिश रचती आंधियों से
खामखा मैं क्यों...
आशुओं ने संवारा है
आह तड़प ने मुझमें हौसला भरा
और तन्हाई ने निखारा है
जब उद्गम मेरी कहानी की
सैलाब है तूफान है ।
जब अपने आत्म विश्वास और सामर्थ्य पे
गुमान है अभिमान है
फिर इन बुजदिल साजिश रचती आंधियों से
खामखा मैं क्यों...