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अस्थमा के लिए योग लाभदायक
*अस्थमा के लिए योग लाभदायक*
*भूमिका:-*
आज के समय हम देख रँहे की लोग अस्थमा की समस्या से ग्रसित है,ओर धीरे धीरे यह बीमारी तेजी से फैलती जा रही है, इससे ग्रसित चाहें बच्चे हो,जवान हो,या बूढ़े सभी इससे प्रभावित है, इसका कारण दूषित हवा,दिनचर्या का सही न होना,खान-पान रहन-सहन,योगाभ्यास न करना,आदि कारण हो सकते है।ओर हम देखे तो यह समस्या धीरे - धीरे बढ़ती ही जा रही है।अस्थमा के मुख्य लक्षण स्प्ष्ट किये गए हैं-
जिसमे साँस की घरघराहट (साँस लेते हुए सीटी की तरह आवाज़ आना)
साँस फूलना,खाँसी का आना
छाती में जकड़न का होना- मानो ऐसा लग रहा हो कि पूरा शरीर रस्सी से बंधा हुआ हो।
*अस्थमा क्या है-*
अस्थमा फेफड़े से जुड़ी एक सामान्य बीमारी है, जिससे साँसें लेने में तकलीफ़ होती है।
अस्थमा को अगर हम सरल शब्दो मे जाने तो,यह किसी व्यक्ति के फेफड़े (lungs) तक हवा का सही रूप, से न पहुंचने के कारण,उसे सांस लेने में जो समस्या आती है,उसे ही दमा या अस्थमा कहा जाता है। ओर जिस कारण उसे सांस लेने में समस्या,सांस का फूलना,खांसी आना, जोर-जोर से सांस लेना आदि समस्याएं आती है।
*योग से होने वाले लाभ-*
योग के द्वारा किये जाने वाले मुख्य आसनों,प्रणायाम का निरंतर अभयास से अस्थमा जैसी बीमारी से जल्द से जल्द निजात पाया जा सकता है। जो मुख्यतः है-
*सेतुबंध-आसन* -
सेतुबंध मुद्रा के द्वारा छाती और फेफड़ों को खोलने में सहायक होता है, तथा थायरॉइड की समस्या को कम और पाचन में सुधार लाता है, व अस्थमा के रोगियों को लाभ प्रदान करता है।
*भुजंगासन-*
कोबरा मुद्रा या सर्प की तरह फन ऊपर की ओर फैलाये रहता है, इसमें छाती का विस्तार होता है, व रक्त परिसंचरण में सुधार करता है, और अस्थमा के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है।
*नाड़ीशोधन प्राणायाम-*
नाड़ी शोधन से तात्पर्य नाड़ियों का शुद्धिकरण करना होता है। नाड़ी शोधन मस्तिक् को साफ करता व मन को शांत करता है। व अपने शरीर को चिंता, अनिद्रा,व तनाव मुक्त रख।ने
में यह बहुत लाभदायक है।
*कपाल-भाती प्राणायाम-*
कपाल अर्थात मस्तिष्क और भाति यानी स्वच्छता। अर्थात 'कपाल भाति' वह प्राणायाम है जिससे मस्तिष्क स्वच्छ होता है
साँस लेने,मन को शांत तथा तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करता है। यह सभी नाड़ियों को साफ कर और रक्त परिसंचरण में सुधार करता है।
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" _रोज करो योग, फिर न होय कोई रोग"।_
shastri ji.