आप स्वयं
समुद्र का रहस्य,
कोई लहर को जो हो ज्ञात,
की वह गिर गिर स्वयं कुछ चोटिल ना होता,
तथा रुधिर केवल नीर का घट रहा,
तब क्या वह धरती को ललकारेगा?
अथवा बूंदों में विच्छिन्न हो कर,
टूटना बाधित कर मृत्यु को तारेगा,
अथवा, जीवन का नाश करने,
स्वयं हो जाएगा पाषाण,
टूट जाता जो नमक कणों में,
पीठ के...
कोई लहर को जो हो ज्ञात,
की वह गिर गिर स्वयं कुछ चोटिल ना होता,
तथा रुधिर केवल नीर का घट रहा,
तब क्या वह धरती को ललकारेगा?
अथवा बूंदों में विच्छिन्न हो कर,
टूटना बाधित कर मृत्यु को तारेगा,
अथवा, जीवन का नाश करने,
स्वयं हो जाएगा पाषाण,
टूट जाता जो नमक कणों में,
पीठ के...