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रिश्तों में खटास (भाग १)
पड़ोसी शर्मा जी के घर दो बेटों की शादी थी। हमारे यहाँ भी न्योता आया था। मैं और गुड्डी बहुत ही प्रसन्न
थे, दावत उड़ाने जो मिलेगी। पूरे मोहल्ले में खुस फुस हो रही थी। मैं भी पूरा ख़बरी बहमारेन गया था।
खेलने जाता वहाँ महिला मंडली अपनी गप्पों का पिटारा खोले बैठी होती।कोई भी ख़बर शर्मा जी के बारे में होती तुरंत माँ को आ कर बताता। गुड्डी भी मेरी सहायक बनी हुयी थी। दरअसल बात यह थी कि शर्मा जी का छोटा बेटा
तो बैंक मैनेजर था। लेकिन बड़ा...