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हमारे देश को आजाद हुए ,74 साल हो गए लेकिन हमारे देश की महिलाओ को आज भी परतंत्रता की बंधन में बांध के रखा गया है ,कही रिश्ते के नाम पर तो कही संस्कार के नाम पर हमेशा सबने अपने सोच अपनी इच्छा महिलाओ और थोपा कभी पिता तो कभी भाई और कभी पति बन कर और सबने निभाया भी अगर इसी बीची अगर किसी ने अपनी खुशियों के लिए अपने लिए कोई कदम बढ़ाया तो पता नही उनको कैसे कैसे ताने सुनने पड़े और किस किस नाम से उन्हें बुलाया गया लेकिन कभी किसी ने उनके बारे में एक बार भी नही सोचा कोई रिश्ता कोई संस्कार नही आया इनको बचाने के लिए। कोई ऐसा दिन नही होगा जिस दिन वह अपनी पंख फड़फड़ाने की कोशिश न की हो लेकिन इस पुरुष प्रधान देश में कभी उनका पंख उड़ने से पहले ही नोच दिया गया तो कभी उड़ते उड़ते काट दिया गया आज भी उन्हें उन गुलामी के जंजीरो में बांधने का कोशिश जारी है,हमारे देश का तो जैसे कोई रिवाज बन गया है औरत के साथ घर में गलत ब्याहार किया जाएगा बाहर जाए तब गलत व्याहार किया जाएगा मतलब किसी भी तरह उनको ये बता देना है की इस पूरे समाज में आपका कोई जगह नही है.....
पता नही इस देश के लोग को कब समझ आएगा स्वतंत्र होने का मतलब कब इन्हे पता चलेगा की कही किसी भी धर्म के ग्रन्थ में ये नही लिखा की महिलाओ को स्वतंत्रता का अधिकार नही ये जरूर लिखा है की अगर रीति रिवाज, संस्कार और रिश्ते पैर के बेड़ी बने तो उसे तोड़ के आगे बढ़ना चाहिए,और ऐसे संस्कार और ऐसे रिश्ते को भी नही मानना चाहिए जो किसी की उनकी आजादी और खुशियां न दे पाए।।।
© priya