आत्म संगनी का आत्म समर्पण और Precious संबोधन
प्राय: देखने में आता है कि भारतीय नारी अपने सुहाग की खुशी उसकी आयु उसकी तरक्की उसके हर कदम पर जीत की आशा के लिए मन्नत करती है, व्रत रखती है,मांग सजाती है पूजा करती है,तपस्या करती है।मगर उसके हिस्से का प्यार किसी को नही बांटती ।उसके अधिकार किसी को समर्पित नही करती। वह चाहती है उसका सुहाग सिर्फ उसकी मिल्कियत रहे लेकिन मेरे जीवन में आई एक दिव्य आत्मा ने इस सूक्ति को बदल डाला। अपने सुहाग के प्यार में से कुछ हिस्सा बचाकर उसने मेरे दामन में डाल दिया।निसंदेह हमारे मध्य अंतरंग कुछ भी नही...