...

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एक पत्र खुद के नाम
प्रिय नम्मू,,,,

कैसी हो तुम
नाम अजीब लगा है ना तुम्हे मेरा संबोधन
कभी पुकारा नहीं है ना किसी ने इस नाम से,,,,
लेकिन मैंने देखा है तुम्हारे शरीर पर यहां वहां पेन से लिखा हुआ (नम्मू)
और देखा है पढ़कर तुम्हारा मुस्कुराना, तुम्हारे बेटे ने पुकारा तो नहीं लेकिन लिखकर दे दिया ये नाम
जब तुम अर्धनिंद्रां में होती थी पेन से लिख देता था कभी हाथ पर कभी कराई पर तो कभी पेट पर
बरसों से तुम्हें देखते हुए आ रही हूं बचपन से
चुपचाप रहने वाली लड़की वो सलोनी सी लड़की वो
बड़ी बड़ी आंखों वाली लड़की,,,,
हां अब परिपक्व हो गई है खुलकर हंसने भी लगी है और बेबाक भी हो गई है लेकिन वो बात बात पर आंखें भिगोना नहीं छोड़ा है तुमने
गुस्से में रोती हो और प्रेम में भी रोती हो ये कैसा प्रेम है तुम्हारा तो खामोश रोकर करती हो
क्या तुम्हारे इन जज़्बातों को आज तक समझा है किसी ने
मैंने देखा है तुम्हारे जीवन के झंझावातों को और तुम्हें हर कठिनाई से गुजरते हुए अभावों में जीते हुए लेकिन तुमने एकांत में आंसू बहाए है कभी शिकायत नहीं किया
ना ही कहा इस दर्द को कभी किसी से
तुम बस मुस्कुराती रही और प्रेम बांटती रही
कहीं सम्मान भी मिला तो कहीं अपमान भी हुआ प्रेम का
किसी ने सहेजा भी है तुम्हारे शब्दों को अपने हृदय में प्रेम से सम्मान से
एक ख्वाहिश रही हमेशा कि कोई तुम्हें भी खत लिखता
प्रेम से भरा हुआ
लेकिन ज़माना बदल गया है अब कागजों में कोई माथापच्ची नहीं करता है
तुमको मिले तो बस कुछ शब्द औपचारिकता भरे हुए
वो प्रेम पत्र नहीं मिल पाया कभी
सोचा आज मैं ही लिख दूं 😊
मैंने जब भी तुम्हें आईने में देखा सच में देर तक निहारा है
तुम्हारी आंखों को
कुछ तो है इनमें,,,, तुम कह दो ना कभी सबकुछ मुझसे
मैं जानती हूं तुम नहीं कहोगी कभी नहीं कहोगी
लेकिन मैं समझती हूं तुम्हारा मन तुम्हारा प्रेम,,, हां सच में

तुम्हारी आखिरी ख्वाहिश,,,, यूंही हंसते हंसते अचानक एक दिन अलविदा कह जाने की
बिना किसी दर्द के ,,,बस कुछ साल बाद
ज्यादा जीना क्यों नहीं चाहती हो
शायद खूबसूरत ही मरना चाहती हो 😂 सही है ना
संभव नहीं है लेकिन मैं दुआ करूंगी ये चाहत पूरी हो जाए

खैर कोई कुछ भी कहे,,
लेकिन ये जो लिखती हो जब एक किताब में बंद हो जाएगा और कोई पढ़ेंगे तो तय है जीवन में प्रेम के महत्व को समझेंगे और तुम्हें एक बार याद जरूर करेंगे

हां एक बात और बोलूं,,,,,
अच्छा लगता है अब तुम्हें देखकर तुम मजबूत होती जा रही हो ओनलाइन दुनिया में जब से क़दम रखा है बहुत बदल गई हो और ये बदलाव बहुत अच्छा है तुम्हारे लिए
छोटी सी दुनिया से निकलकर कुछ बहुत अच्छे रिश्ते तुम्हें मिले हैं और तुमने समझा है कुछ सीखा है
और कुछ बहुत कुछ सिखा गये तुम्हें लेकिन सबक जरूरी था तुम्हें मिलना
हां लेकिन अपनी ये मासूमियत कभी मत छोड़ना अपने मन को कभी मत बदलना
मुझे अच्छा लगता है तुम्हारे शब्दों में तुम्हारे साहिब को देखना और पढ़ना कभी मत कम होने देना इस प्रेम को
भले ही तुम्हारा साहिब पढ़ें या ना पढ़े समझे या ना समझे

जब तक सांसें है लिखते रहना बांटते रहना मुस्कुराहट और प्रेम,,,,,,
अभी तो यात्रा बाकी है अभी सिर्फ रास्ता मिला है मंजिल नहीं
इसलिए चलते रहना अनवरत अनथके,,,,,
हर कोई अपने नजरिए से दुनिया में दूसरे को समझता है इसलिए परवाह मत करो
तुम अपने नजरिए से खुद को समझती हो इतना काफी है क्या फर्क पड़ता है किसी के समझने और ना समझने से
और फिर जिसे तुम चाहती हो वो तो समझता है ना
इतना काफी है
चलो अब मुस्कुरा दो,,,,,
अलविदा अगले पत्र तक,,,,
तुम्हारी,,,,,

Namita Chauhan
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