राम आयें तो दुबारा कैसे आयें
राम आयें तो दुबारा कैसे आयें?
अब यहां कोई लखन, हनुमान नहीं।
अपना सहायक किसे बनायें ?
इस धरा पर लोगों में बची जान नहीं।। राम आयें.....
अपने ही अहंकार में चूर हैं,
दूसरों से उन्हें कोई सरोकार नहीं।
आस्था और विश्वास से...
अब यहां कोई लखन, हनुमान नहीं।
अपना सहायक किसे बनायें ?
इस धरा पर लोगों में बची जान नहीं।। राम आयें.....
अपने ही अहंकार में चूर हैं,
दूसरों से उन्हें कोई सरोकार नहीं।
आस्था और विश्वास से...