...

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बलात्कर
समाज किन परिस्थितियों से गुजर रहा है
आज कुछ असमाजिक तत्वों की वजह से
बेटियाँ असुरक्षित महसूस कर रही है

और उनके खुशियों का हनन हो रहा है

बेटियां जवाबदारी होती हैं

उनका स्कूल जाना कॉलेज जाना job करना ।उनका मौलिक अधिकार है

तो उन पर हिंसा और बलात्कर जैसा घृणित कार्य करने वालो खुला छोड़ देना कहाँ तक सही है


मैं उस मासूम बेटी की आंखों में देखकर स्तब्ध हूँ

की आखिर उसको न्याय क्यों नहीं मिला
उसकी हंसी खुशी जिंदगी में दर्द की कालिख़ पोती गयी

हम देखते रहे

राजनीतिक संगठन न्याय व्यस्था सुरक्षा व्यस्था

इन घटनाओं के लिये किसे जिम्मेदार मानती है?


कसूर क्या है लड़कियों का यही न कि वो पढ़ना चाहती है

अपनी काबिलियत से अपनी पहचान बनाना चाहती हैं

क्या उन्हें घर मे कैद करके हम उनके सपनों को कुचल दें

क्या बेटियां आज भी अभिशाप मानी जाती है

क्या समाज को हक़ नहीं system से सवाल करने का जो बेटियों को सुरक्षा भी नहीं दे सकते

क्या न्याय व्यस्था आज भी अपनी सुनवाई की धीमी रफ्तार को बरकरार रखना चाहती है

हर चीज़ के लिए कानून है तो महिलाओं के लिए women safty court क्यों नहीं जहाँ उनको न्याय उनके जीते जी मिल जाये

उनके कोमल अंग को वासना के गंदी दृष्टि से देखने वालों को मौत की सजा क्यों न दी जाये?

आज media दीपिका पादुकोण को बचा रही है छोटी सिगरेट बड़ी सिगरेट बोलकर drugs case को उलझा रही है

कंगना रनावत को y+ सुरक्षा दी जाती है
तो उन बेटियों को क्यों नहीं जिनके ऊपर अत्याचार हुआ है

न्याय मिलने तक उन्हें सुरक्षा क्यों नही दी जाती

इसलिए कि वो celebrity नहीं हैं


हम सब एक हैं का नारा देने से हम एक नही हो जाते

समाज को बदलने के लिए system को बदलना होगा