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प्रेम निष्ठा (अंश-3)
ऑटो में बैठे, तो बस मानो वक्त किसी खाई में मुझे धकेल गया हो। हवाओं के झोंको में कही गुम सी गिरती चली गई। निशा ने भी कोई सवाल न किया मेरी उदासी वो खूब समझती थी। स्टैंड कब आया मुझे पता भी न चला मै कही खोई हुई थी। बस निशा ने कहा, निष्ठा स्टैंड आ गया। अचानक मानो होश आ गया मुझे, मै और निष्ठा ऑटो से उतर गए। बस फिर कहने को दो बातोनी सहेलिया साथ थी। मगर बाते कुछ भी न हुई...