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@#चित्रा - the untold story .........#@
स्टेशन से ट्रेन चली ही थी कि लोग सीट पर बैठ ने के लिए झगड़ ने लगे ।तभी लगभग एक २५ वर्ष की लड़की मेरे सामने वाली सीट पर आकर बैठ गई, बड़ी आंखे , लंबे स्ट्रेट बाल, आंखों पर काले चश्मे , मॉर्डन ड्रेस पहन रखी थी , पहले तो मै सोचने लगा कि शायद यह गलत ट्रेन में चड़ गई है , पर मुझे क्या मेरे लिए तो अच्छा है क्योंकि ऐसे मौके तो हम जैसों को चाहिए । मैं विंडो सीट पर बैठा था । अब मुझे कुछ अच्छा सा लगने लगा , क्योंकि बहुत दूर से मै बोर होता चला आ रहा था और थैंक्स बोलता हूं उस लड़ाई को जिसके कारण वह मेरे सामने वाली सीट पर आकर बैठ गई ।

लड़को की फितरत होती है जहां अकेली लड़की देखी नहीं बस लग जाते हैं उससे दोस्ती करने के लिए । मैं भी उन्हीं लड़को में से एक हूं ।

मैं अपने काम में लग गया मतलब उससे दोस्ती करना चाहने लगा , उसका नाम जाना चाहा रहा था , वो कहा रहती है , कहां जा रही है , क्या करती है.............

मैं घुमा फिरा कर बात करना नहीं चाहता था , क्योंकि समय पूछना, पानी मांगना आदि सब घिसे पीते आइडिया हो गए और इन्हे लड़कियां जल्दी समंझ भी जाती हैं ।

मैने सीधे पूछा - तुम्हारा नाम क्या है ?

वह बिना सोचे तुरंत बोली - चित्रा , और अब तुम मेरा पता जानना चाहा ओगे , कहां रहती हूं क्या करती हूं आदि ।

ये सुनकर मैं हैरान रह गया , मेरे चेहरे पर नर्वसनेस आ गई , क्योंकि इस उत्तर की तो मैं उम्मीद भी नहीं कर रहा था ,

अपने आप को सभालते हुए बोला नहीं इस सब कि जरूरत नहीं है क्योंकि तुम खुद ही ये बताओगी , मेरे बिना पूछे ।

अच्छा , पर वो क्यों ? अपने कान से इयर फोन हटाते हुए बोली

सफर लंबा जो है , ये ट्रेन लखनऊ कल सुबह तक पहुंचेगी और मुझे लगता ह की सायद तुम तब तक चुप नहीं रह पाओगे ,

अगर तुम लखनऊ जा रहे हो तो इसका मतलब ये नहीं कि मै भी लखनऊ जा रही हूं , मुझे तो अगले स्टेशन पर उतरना है ।



आगे अगले भाग में.........


© @herry