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पूर्णकाल से स्थापितकाल होकर प्रलय काल में भाग-१
जैसा कि आप सब ने अभी तक देखा कि कृष्णानंद और लैसवी दोनों ही बहुत कुशल नेतृत्व और प्रबंधन स्थान के पात्र साबित है क्योंकि कृष्णानंद द्वारा एक कन्या का उचित स्थान क्या हो सकता है एक आदम जाति यह बखूबी बतलाया गया है
और एक दुनिया कि आखो पर पड़ी हुई पट्टी हटाने का प्रयास है लेखक द्वारा यह साबित किया जाता है कि आजकल प्रेम विलीन और सवानमयी जीवन है।। यह साबित किया जाना बहुत ही आसान है।।
कैसे हैं आइए जानते।
स्त्री का परिचय क्या कैसा और कहा से मिलता है।।
कुछ महत्वपूर्ण किरदार द्वारा किए सवाल।।
1) कहानी में किसके बारे में बात की गई।-सत्री
२)कहानी में विषय क्या बना हुआ है। शोषण
कहानी संग्रह यह कह रहा है कि हर एक लड़की वैशया के ही सम्मान है क्योंकि हर आदमी उसे एक गृहक की नजर से ही देखता है।। और इसलिए यह कहने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं है कि -अगर
पैसे देकर करते हों तो हम बुरे और साथ में सात वचन कसम और फेरे लेकर करते हो और बंधन में बांधकर कर करते हो तो भी हम बुरे हम सैकड़ों रखकर भी खुला कहते हैं कि हम वैशया है।।
मगर तुम तो दो रखकर भी मुंह छुपा ते ही फिरते हो।।
🌟बलात्कारी के साथ घटित चक्र।।
🌟बलात्कारी ने लड़की को पनाह क्यों दी।।


#असमभवपरेम गाथा
#पूर्णकाल से स्थापितकाल में।।


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