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मुहब्बत वाले लोग
तो बात है 20 फरवरी 2021 की। हर बार की तरह इस सफ़र के बारे में भी मुझे कुछ नहीं पता था कि किस जगह जाना है? किस व्यक्ति विशेष से मुलाकात होगी और मुलाकात हो भी गई तो क्या बात भी बनेगी या बस बात कर के ही लौट आऊंगी। अगर कुछ पता था तो बस इतना कि रात के दस बजे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से ट्रेन में बैठकर सुबह पांच बजे पाकिस्तान सीमा पर स्थित पंजाब के फिरोज़पुर रेलवे स्टेशन पर उतरना है।

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर मिसेज सोलंकी से मुझे कुछ काम था, उन दिनों वो अपनी मां के घर फिरोजपुर गई हुई थी सो मुझे मिलने के लिए वहीं बुला लिया था। सोलंकी मैम से कभी मिलना हुआ नहीं था ना ही उससे पहले कभी पंजाब जाना हो पाया था। उनकी रिसर्च स्कॉलर (जो कि मेरी कॉलेज फ्रैंड थी) ने ही उनका नंबर दिया था। वहां पहुंचने से पहले मैम से जब कॉल पर बात हुई तब उन्होंने इतना ही कहा था कि छोटा शहर है यहां होटल में ना रुकना। इधर मैं पंजाब और वहां के लोगों के बारे में उतना ही जानती थी जितना पंजाबी गानों ने बाकी दुनिया को ख़ुद के बारे में बता रखा है। तो मैं स्वभाव से थोड़ी सोफिस्टिकेटेड लड़की अपनी पहली पंजाब यात्रा में पंजाब के बारे में बस यही जानकारी लिए कोरोना काल की एक सर्द सुबह में रेलवे स्टेशन पर बैठी सूरज निकलने का इंतज़ार कर रही थी। सुबह पांच से आठ बजे तक उस सुनसान प्लेटफॉर्म पर मुझे अकेली बैठी देख कई पुलिसकर्मी मेरे बाहर निकलने की बजाय वहीं बैठे रहने की वजह पूछते हुये मेरे पास आये और मैं सबको सच बताती रही कि मिसेज सोलंकी से मिलने आई हूं लेकिन वो फ़ोन नहीं उठा रही और मुझे नहीं पता कि उनका घर और ऑफिस कहां है तो मैं यहां सूरज निकलने और मिसेज सोलंकी के फ़ोन उठाने का इंतजार कर रही हूं। कुछ को मेरी बात थोड़ी संदेहजनक लगी और कुछ इसे मेरी नादानी समझ अनूप सोनी जी के अंदाज़ में मुझे सतर्क और सावधान रहने की हिदायत दे चले गये। ख़ैर... सुबह 8:30 के आस पास मिसेज सोलंकी से कॉन्टैक्ट हुआ और उन्होंने एक डिग्री कॉलेज का नाम बता कर वहां आने के लिए कहा। ये सुन कर मैं रेलवे स्टेशन से बाहर निकली और निकलते ही एक रिक्शे वाले को मेरी ओर लपकता देख मन ही मन बड़बड़ाई ... "ओह गॉड, ये लोग हर...