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मेरो लडडू गोपाल♥️✍️
मनसुखा बहुत दुर्बल था।
उसके शरीर की सभी हड्डियां दिखाई पड़ती थीं। एकदिन श्रीकृष्ण ने मनसुखा के कंधे पर हाथ रखकर कहा–मनसुखा ! तुम मेरे मित्र हो कि नहीं? मनसुखा ने सिर हिलाकर कहा–हां, मैं तुम्हारा मित्र हूँ। तब कन्हैया ने कहा ऐसा दुर्बल मित्र मुझे पसंद नहीं। तुम मेरे जैसे तगड़े हो जाओ। मनसुखा रोने लगा। उसने कहा–कन्हैया ! तुम राजा के पुत्र हो। तुम्हारी माता तुम्हें दूध-माखन खिलाती है। इससे तुम तगड़े हो गए हो। मैं...