Zindgi Ek Paheli Part 2
मुंबई सपनों की नगरी मेरे भी सपने थे मुंबई से जुड़े। मुंबई पहुंच कर मैं सीधा उस घर में गई यहां पापा ने मेरे रहना का बंदोबस्त किया था। घर में चार जन नज़र आऐ , एक थे माली काका,एक चौकीदार, एक छोटा सा प्यारा सा है कुत्ते का बच्चा, और थे शंभू काका। घर के अंदर जाते ही शंभू काका ने मुझे मेरा कमरा दिखाएं। मैंने अपना सामान रखा चेंज किया और घर देखने लगी घर देखते देखते मैं किचन में पहुंच गई शंभू काका मेरे लिए कुछ बना रहे थे । मैं उन से कुछ बातें करना चाहती थी लेकिन वो तो चूप चाप अपना काम कर रहे थे तो मैंने सोचा कि मैं ही बात शुरू करती हूं।तो मैंने बात शुरू की मैंने कहा "मेरा नाम मैरी है आप यहां काम करते कौन-कौन रहता है"।
उन्होंने ने मेरी तरफ देखा और प्यार से बोले "बिटिया इस घर में 3 जन और रहते हैं जो भी घर पर नहीं है रात को ही आते हैं और सुबह निकल जाते हैं मैं बात नहीं करता क्योंकि उन्हें अच्छा नहीं लगता कि घर का कोई नौकर घर में रहने वाले किसी दूसरे बंदे से बात करें इसीलिए घर में हम सब नौकर आपस में कभी-कभी बोल लेते हैं...
उन्होंने ने मेरी तरफ देखा और प्यार से बोले "बिटिया इस घर में 3 जन और रहते हैं जो भी घर पर नहीं है रात को ही आते हैं और सुबह निकल जाते हैं मैं बात नहीं करता क्योंकि उन्हें अच्छा नहीं लगता कि घर का कोई नौकर घर में रहने वाले किसी दूसरे बंदे से बात करें इसीलिए घर में हम सब नौकर आपस में कभी-कभी बोल लेते हैं...