समुद्रमंथन...
समुद्र मंथन होना था ... उद्देश्य था अमृत पी कर अमरत्व को प्राप्त हो जाना.. फिर अमरत्व कौन ना चाहेगा.. पर समुद्र मथने का साधन जुटाना था.. देव पक्ष असुर पक्ष.. इस मामले में असमर्थ थे. तब मंदराचल पर्वत को मथनी बनाया गया, वासुकी नाग को रस्सी, फिर मंदराचल जल में थमेगा कैसे तब भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार लेकर मंदराचल को पीठ पर धारण किया.. मुखाग्र भाग पर अहंकारी...