रिश्तों में खटास (भाग २)
दिन बीतते जा रहे थे पर रहस्य खुलने का नाम ही नहीं ले रहा था । सबको पाण्डेय दरोग़ा जी से उम्मीद थी, अब तो जो कुछ करेंगे वो ही करेंगे सब ऐसा ही कहते। महेश्वरी आन्टी ने तो मिसेज़ पाण्डेय से कह भी दिया" अरे ज़रा पाण्डेय जी को मामला पता लगाने के लिए बोलिए"। मिसेज़ पाण्डेय भी गम्भीरता से सिर हिलाते हुए बोली कोशिश कर रहे है, जल्द ही पता चल जाएगा। इन बातों में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था, पर माँ
अक्सर ड़ाँटती " अभि फ़ालतू की बातों पर नहीं पढ़ाई पर ध्यान दो"। दरअसल दादी की बीमारी के कारण माँ ज़्यादा बाहर नहीं निकलती थी। अकसर मोहल्ले की महिलाएँ ही हमारे घर आ जाती थी। दादी से भी मिल लेती और मसालेदार ख़बरें भी सुना जाती। उन्हीं से पता चला शर्मा जी अपने बेटों की शादी गंगानगर से न...
अक्सर ड़ाँटती " अभि फ़ालतू की बातों पर नहीं पढ़ाई पर ध्यान दो"। दरअसल दादी की बीमारी के कारण माँ ज़्यादा बाहर नहीं निकलती थी। अकसर मोहल्ले की महिलाएँ ही हमारे घर आ जाती थी। दादी से भी मिल लेती और मसालेदार ख़बरें भी सुना जाती। उन्हीं से पता चला शर्मा जी अपने बेटों की शादी गंगानगर से न...