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घर मन का दर्पण
लोग कहते हैं कि, घर एक ईंट गारे से बनी एक ऐसी जगह होती है जहां लोग कह सकते हैं.पर मेरे हिसाब से घर सिर्फ मकान नहीं बल्कि एक कल्पनाओं का भंडार भी हो सकता है.जो कल्पना करने वाले के व्यक्तित्व को दर्शाता है.मैंने घर को कल्पनाओं का भंडार क्यों कहा इस प्रश्न का उत्तर दे दूँ.
यदि मैं कहुँ कि मेरा घर मेरे पिताजी के दिल में है. तो यह एक मात्र कल्पना ही तो है, क्योंकि दिल घर नहीं हो सकता.इस वाक्य का प्रयोग मैंने सिर्फ यह दर्शाने के लिए किया है कि, मेरे पिताजी मुझसे कितना प्यार करते हैं.
अब आइए मैं आपको अपने कल्पनाओं के भंडार में ले चलूँ.
यहां यह बताना जरूरी है कि यह मेरी कल्पना है इसलिए यह मेरे व्यक्तित्व का दर्पण है.
यह एक चारों ओर से हरियाली से ढका प्रकृति की गोद में बना एक बड़े दरवाजे वाला घर है जिसका दरवाजा खुलते ही प्रकृति की गोद में होने का एहसास होता है खिड़कियों के बड़े होने का कारण सिर्फ यह है कि ताज़ी हवा के आने-जाने के साथ पक्षियों का आना जाना भी लगा रहे.

© kalyani