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भाई दूज
आशा अभी कुछ दिनों से परेशान रहती थी। अपनी तबीयत को लेकर दरअसल कुछ दिनों पहले उसने एक सुंदर से बेटे को जन्म दिया था।उस दौरान डॉक्टर ने उसके पहले ऑपरेशन को ही खोल दिया जिस कारण वह जगह बहुत कमजोर और नाजुक हो गया था।दूसरे बच्चे की डिलीवरी के लगभग तीन महीने बाद ही उसे ऑपरेशन में दर्द होना शुरू हो गया और सिलाई के जगह पर छोटा सा गुब्बारा फूल गया था। कुछ दिनों तक तो उसने ध्यान नहीं दिया इस बात पर उसने सोचा शायद काम की वजह से ऐसा हो रहा है मगर जब उसका दर्द बढ़ने लगा और उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था ।तब उसने डॉक्टर को दिखाया डॉक्टर ने देखते ही बता दिया कि ये ऑपरेशन से होने वाले हर्निया हैं। इसको ठीक करने का मात्र एक ही उपाय है और वो है ऑपरेशन..!!
आशा की उम्र बहुत कम थी उसे ऑपरेशन से डर भी बहुत लगता था ऊपर से उसके दोनों बच्चे ऑपरेशन करके ही हुए थे। और अब फिर से यह ऑपरेशन..!!
वह अंदर से काफी डरी हुई थी। ऊपर से डॉक्टर ने बताया इस ऑपरेशन में थोड़ा खतरा भी होता है। यह ऑपरेशन उतना आसान नहीं होता है। जब आशा ने अपने घर में यह बात बताई तो किसी को कुछ समझ ही नहीं आया।
क्योंकि इस बीमारी की जानकारी उन लोगों को नहीं थी।
फिर उसने अपने ससुराल में बताया ससुराल का भी वही मायके वाला ही हाल था। जिस कारण आशा और उसके पति और भी परेशान होने लगे उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह किस तरह अपने घर वालों को समझाएं।
यहां घर से इतनी दूर शहर में ऐसा कोई उनके करीबी नहीं था जिनके यहां वह अपने दोनों बच्चों को छोड़कर हॉस्पिटल ऑपरेशन के लिए जाए....!
इसी बीच आशा का भाई अनिल जो कि दिल्ली में रहता था उसे छुट्टी मिली थी एक हफ्ते की...!अनिल ने अपनी बहन आशा को फोन किया और बताया कि मैं घूमने के लिए...