सफ़रनामा- मैं, मोदीजी और आची का आल्ची किचन…
सफ़रनामा- मैं, मोदीजी और आची का आल्ची किचन…
मैं और मोदी जी हर जगह थोड़ी देर सवेर पहुँच ही जाते हैं….वहाँ भी जहाँ अमूमन लोगों को हमसे पहुँचने की उम्मीद भी नहीं होती।
बीते दिनों लद्दाख दौरे पर था, वहाँ का जनजीवन व बुद्धिस्ट धरोहर किसी का भी मन सहज ही मोह लेता है, ना चाहते हुए भी लोग उसकी तरफ़ आकर्षित हो जाते है।
मैं उस दिन आर्यन वैली से लौट रहा था और हमें आल्ची गोम्पा विज़िट करते हुए लेह आना था। दोपहर के लगभग डेढ़ बज रहे थे और पेट में चूहों की धमाचौकड़ी चालू हो चूकी थी।
आल्ची मठ दसवीं-ग्यारहवीं शताब्दी में निर्मित हुआ अनूठा मंदिर हैं जिनमें भगवान अवलोकेतेश्वर, भगवान मैत्रेय व माता मंजुश्री की अती विशालकाय मूर्तियाँ स्थापित है जो की अपने परम्परागत स्वरूप से बिलकुल भिन्न है।
ख़ैर हम लोग आल्ची पहुँच चुके थे और अब बेहतरीन खाने की तलाश में हम आल्ची किचन नामक रेस्टोरेन्ट में आ धमके थे।...
मैं और मोदी जी हर जगह थोड़ी देर सवेर पहुँच ही जाते हैं….वहाँ भी जहाँ अमूमन लोगों को हमसे पहुँचने की उम्मीद भी नहीं होती।
बीते दिनों लद्दाख दौरे पर था, वहाँ का जनजीवन व बुद्धिस्ट धरोहर किसी का भी मन सहज ही मोह लेता है, ना चाहते हुए भी लोग उसकी तरफ़ आकर्षित हो जाते है।
मैं उस दिन आर्यन वैली से लौट रहा था और हमें आल्ची गोम्पा विज़िट करते हुए लेह आना था। दोपहर के लगभग डेढ़ बज रहे थे और पेट में चूहों की धमाचौकड़ी चालू हो चूकी थी।
आल्ची मठ दसवीं-ग्यारहवीं शताब्दी में निर्मित हुआ अनूठा मंदिर हैं जिनमें भगवान अवलोकेतेश्वर, भगवान मैत्रेय व माता मंजुश्री की अती विशालकाय मूर्तियाँ स्थापित है जो की अपने परम्परागत स्वरूप से बिलकुल भिन्न है।
ख़ैर हम लोग आल्ची पहुँच चुके थे और अब बेहतरीन खाने की तलाश में हम आल्ची किचन नामक रेस्टोरेन्ट में आ धमके थे।...