प्रेम के कुछ पल (पार्ट-1)
केश आये थे मुख पर तुम्हारे तो चांदनी छुपने सी लगी थी,
और दिखा था स्कंध के मध्य तिल,
पहरा देता हुस्न पर,
उस पवन को महका मैंने जिसने चूमा था तुम्हे,
झिझक भी रही थी तुम मैं एकांत में चलने लगा था,...
और दिखा था स्कंध के मध्य तिल,
पहरा देता हुस्न पर,
उस पवन को महका मैंने जिसने चूमा था तुम्हे,
झिझक भी रही थी तुम मैं एकांत में चलने लगा था,...