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आत्महत्या
"आत्महत्या"शब्द छोटा है पर बात बड़ी है कभी सोचा है की इसे आत्महत्या क्यों कहते है..इसलिए नही की ये हम खुद करते है बल्कि इसलिए कि ये हम तब करते है जब है अपने साथ अपनी आत्मा ,अपना अस्तित्व ,अपनी सोचा को भी मार देते है।।जब हम ये सोच ही नहीं पाते की इसके बाद बीस अंधेरा है, इसके बाद हम कुछ नहीं ।आजकल ये एक फैशन है जिसको देखो वो कहीं पंखे पर लटक रहा तो कहीं नदी में कूद रहा कही जल रहा है तो कहीं जहर ले रहा है,,,कितने प्रकार है ना इसके भी,,,अपनी अपनी इच्छा से चुनो और मरो,,।मगर कभी ये सोचा है की तुमने अपनी जिंदगी की कीमत खो दी एक जानवर हर रोज ये सोचकर जीता होगा की वो इंसान होता क्यूं क्यूंकि इंसान का जन्म सम्पूर्ण होता है जिसमे हम हर सुख ,दुख,अपने,सपने,उम्मीदें,हिम्मत सब के साथ जीते है....अब थोड़ा तकलीफ आ गई तो इस कीमती चीज को बरबाद कर दोगे ये विकल्प नहीं कमजोरी है...उन अपनो को छोड़ दोगे जिनसे आपके या जिनके पास आपके लिए सपने है क्यों आखिर क्यों?मौत तो सबको आनी है मगर उसे पहले से क्यूं अपनाना जब हम दुख नही सह सकते तो मौत कैसे सह लेते हैं कभी सोचा है?..
क्यूंकि मौत हम उस समय हर दुख से बचने को रास्ता देती है हमे लगता है मर जाएंगे तो दुख नही सहना पड़ेगा...अरे! बेवकूफों कभी सोचा है की जो रास्ता तुम्हे मौत में दिख रहा वो तुम्हे तुम्हारे अपनो में भी मिलेगा कोई खास जो तुम्हे समझे तुम्हे मानता हो क्या वो तुम्हे दुखी देख पाएगा नही ना तो क्यूं नही जातें उस इंसान के पास जिसने तुम्हे हमेशा समझा हो शायद इस बार भी समझ जाए और तुम्हारा रास्ता बदल जाए....।जब अपनी कमजोरी से लड़ नहीं सकते तो अपनी ताकत को बुला तो सकते हो दोनो तुम्हारे अंदर ही है ।।।।जीवन मुश्किलों का जाल है मगर इंसान उस जाल से तभी निकल पाएगा जब उसके पास ताकत की धार होगी....#तो इन फालतू सोच को बदलो ओर जीनें का आनंद लो।।।।।जीवन में अगर हर चीज आसान हो जाए तो हमे दुख ,सुख,में भेद कैसे पता चलेगा।।। सोचे और समझे "आत्महत्या " ना करें 🌺

© Palak