संध्या
सुनहरी शाम है, छटे-छटे से बादल आकार बदल रहे हैं।संध्या बालकनी में झूलने वाली कुर्सी पर बैठ कर चाय की चुस्की ले रही है। आज से बीस साल पहले उसने विनोद से शादी की थी।
जब वह कॉलेज जाया करती थी, एक लम्बा सा हेंडसम जवान उसका पीछा किया करता था। एक दिन उसने अपना इंट्रोडक्शन देकर प्रपोज कर दिया, जब उसने अपने आई-बाबा के सामने ये बात रखी तो वे नाराज हो गए। हम ब्राह्मण हैं और वो पंजाबी माँस-मछली खाने वाले कै से हो सकता है।
संध्या...
जब वह कॉलेज जाया करती थी, एक लम्बा सा हेंडसम जवान उसका पीछा किया करता था। एक दिन उसने अपना इंट्रोडक्शन देकर प्रपोज कर दिया, जब उसने अपने आई-बाबा के सामने ये बात रखी तो वे नाराज हो गए। हम ब्राह्मण हैं और वो पंजाबी माँस-मछली खाने वाले कै से हो सकता है।
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