चाहत
भाग 2
चिराग और संगीता उस तट पर रोज ही मिलने लगे,
दोनों मे कई बाते होती,
वो कई विषयो पर चर्चा करते..एक दूसरे के साथ नाटक के बारे बाते करते, अपने अपने किरदार को कैसे जिवंत कर दे, इस बारे मे बाते करते..
ये कैसी कशिश जो संगीता को चिराग की ओर खींचे जा रही थी..
चिराग काज़ल का दीवाना...है
ये बात संगीता नहीं जानती थी...हालांकि, चिराग के जिंदगी मे कोई और है, ये बात संगीता जरूर जानती थी....
दिन ब दिन संगीता की चिराग की ओर रुझान बढ़ते ही जा रहा था...
कितनी विवशता होती है एकतरफा प्रेम की...
एकतरफा प्रेम मे
अगर प्यार के बदले प्यार नहीं मिले तो प्रेमी, प्रेमिकाये खुद को ठगा हुआ महसूस करते है
जब तक प्रेम को स्वीकारा ना जाये, वो एकतरफा प्रेम ही कहलाता है
प्रेम की आस मे...
वो बार बार प्रणय निवेदन करती है,
किसी और की प्रेम मे प्रेमी उसके
प्रणय निवेदन को ठुकरा देता है
जिस प्रेम मे दोनों सम्मिलित होते वो प्रेम मंजिल की ओर चल पड़ता
पर एकतरफा प्रेम की कोई मंजिल नहीं होती....
"अपने हिस्से का प्रेम,
मै तुझसे पाऊ कैसे
प्रेम ज्वर मे तप रही हूँ मै
अपने हथेली का ताप
तुझे महसूस कराऊ कैसे
पत्तों की ओट से,
झाँकती इन चिड़ियों से
तुझसे है प्रेम
ये बात छिपाऊ कैसे
लिख कर कई कई बार
तेरा नाम इन पन्नों पर से
मै मिटाऊ कैसे,
प्रिय,
मेरा ये प्रेम पत्र तुझ तक
मै पहुंचाऊ कैसे
इन ही बातो मे उलझी संगीता ने एक दिन चिराग को प्रेम पत्र लिख कर देने का मन बना लिया....
कुछ प्रेम की पक्तियां लिख कर संगीता ने चिराग तक पहुंचा दी...और मिलने का आग्रह किया
चिराग ने पत्र पूरा...
चिराग और संगीता उस तट पर रोज ही मिलने लगे,
दोनों मे कई बाते होती,
वो कई विषयो पर चर्चा करते..एक दूसरे के साथ नाटक के बारे बाते करते, अपने अपने किरदार को कैसे जिवंत कर दे, इस बारे मे बाते करते..
ये कैसी कशिश जो संगीता को चिराग की ओर खींचे जा रही थी..
चिराग काज़ल का दीवाना...है
ये बात संगीता नहीं जानती थी...हालांकि, चिराग के जिंदगी मे कोई और है, ये बात संगीता जरूर जानती थी....
दिन ब दिन संगीता की चिराग की ओर रुझान बढ़ते ही जा रहा था...
कितनी विवशता होती है एकतरफा प्रेम की...
एकतरफा प्रेम मे
अगर प्यार के बदले प्यार नहीं मिले तो प्रेमी, प्रेमिकाये खुद को ठगा हुआ महसूस करते है
जब तक प्रेम को स्वीकारा ना जाये, वो एकतरफा प्रेम ही कहलाता है
प्रेम की आस मे...
वो बार बार प्रणय निवेदन करती है,
किसी और की प्रेम मे प्रेमी उसके
प्रणय निवेदन को ठुकरा देता है
जिस प्रेम मे दोनों सम्मिलित होते वो प्रेम मंजिल की ओर चल पड़ता
पर एकतरफा प्रेम की कोई मंजिल नहीं होती....
"अपने हिस्से का प्रेम,
मै तुझसे पाऊ कैसे
प्रेम ज्वर मे तप रही हूँ मै
अपने हथेली का ताप
तुझे महसूस कराऊ कैसे
पत्तों की ओट से,
झाँकती इन चिड़ियों से
तुझसे है प्रेम
ये बात छिपाऊ कैसे
लिख कर कई कई बार
तेरा नाम इन पन्नों पर से
मै मिटाऊ कैसे,
प्रिय,
मेरा ये प्रेम पत्र तुझ तक
मै पहुंचाऊ कैसे
इन ही बातो मे उलझी संगीता ने एक दिन चिराग को प्रेम पत्र लिख कर देने का मन बना लिया....
कुछ प्रेम की पक्तियां लिख कर संगीता ने चिराग तक पहुंचा दी...और मिलने का आग्रह किया
चिराग ने पत्र पूरा...