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अधूरापन
कभी कभी लगता है इश्क़ अधूरा होना भी इंसान केलिये ज़रूरी होता है। एक मुकम्मल इंसान बनने केलिये कुछ चीजें अधूरी होनी ही चाहिए।
इस अधूरेपन में एक कशिश है। कुछ पाने की , कुछ कर जाने की ज़िद होती है।

जब जब सागर को देखते हैं हम , एक ख़्याल मन मे आता है।
समंदर बार बार लगातार, किनारे से मिलने की कोशिश में अपनी लहरों को और ऊँचाई पे ला जाता है।
इस वक़्त मेरी एक शहरी याद आ रहा है'

“इश्क़ की बेबसी को
यूं देखा है “ओशिर"।
मिल कर भी किनारे से
समंदर को जुदा होना पड़ता है। "

अपूर्णता को देखने की आँख चाहिए।
अपूर्णता भी कुछ चीजें बेहतर कर देती है।

राधा कृष्ण की प्रेम कहानी सब को मालूम हैं,
मिल कर भी नही मिल पाए, कभी एक नही हुए ,
लेकिन सदियों से वो कभी अलग भी नहीं हुए।

प्रेम हो, जीवन हो, जो भी हो अधूरा कुछ रह जाता है।
कुछ अधूरा रह जाना जीवन का भी कोई नियम हो शायद।

"पूर्णता“ सिर्फ मौत के साथ आती है। जब भी जीवन मे कुछ पूर्ण हुआ मतलब ही उस की अंतिम सीमा आ गई।
नमस्कार ।

आज के किये इतना ही।फिर नए विचार के साथ मिलते है।
© Oshir @Writco @OshirOfficial @ChaitanyaTirth