...

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नाता नहीं किसी से
मयूर /निकिता
जब एक इंसान अलग अलग चीज feel करे
बेचैन हो जाए प्रकृति के बदलाव को देखकर
और अपनों को दुःखी देखकर

यानी सभी के लिए सोच पर
सभी से दूर

क्योंकि मयूर से हर कोई दूर चले गए थे या जाने की तैयारी मे थे

अब वो किसी चीज से खुद को जुड़ा हुआ नहीं पाता
पर फिर भी उसका असर मयूर को होता

उसके मम्मी पापा भी नहीं समझ पाते
वो किसी मे अपनेपन या परायेपन को नहीं देखता था

थोड़ा अंदाज मयूर की मम्मी को होने लगा था
अब उन्होंने मयूर को डांटना बंद कर दिया

मयूर इतना ज्यादा फील करता था हर बात की उसे अकेलापन फील होने लगता

इसलिए वो खुद को किसी ना किसी काम मे बिजी रखने की कोशिश करता

मयूर मम्मी को कहता आप ऐसा क्यों कर रहे
क्या हुआ
आप पापा से ऐसा अजनबी व्यवहार क्यों करते

मुझे पता पड़ जाता बताइए ना
हाँ तू बेटी बेटा भी है
और जो किसी को नहीं मानता अपना वो भी एहसास है

क्या करू अपने आप मन खिन्न होने लगता
उनके पास अपनी शराब के लिए समय होता भले रोज नहीं पीते पर मुझे थोड़ा समय नहीं दे सकते

आप इतने गुस्से मे भी पापा की परवाह करते
अपनों की परवाह की जाती है

नहीं आप खुद को ही समझ नहीं पा रहे
मतलब

आपको जो समस्या हो बैठकर बात कीजिए पर इस तरह बस गुस्सा होने से क्या होगा

तेरी समझदारी वाली बातें सुनकर मुझमे यकीन आने लगा उन्होंने मुझे कभी नहीं समझा ना पास बैठे

तो आप समझ लीजिए गृहस्थी की गाड़ी
बराबर चलने से आगे बढ़ती है एक दूसरे की कमी निकालने से कमी ही दिखती


इतना अच्छा समझाया ये मैंने क्यों नहीं सोचा
शायद इसलिए की आपने अपनी अंतरात्मा सुनी ही नहीं

पापा की शराब की आदत है ना इलाज नहीं लेंगे वो भी मुझे पता है
आप एक काम करिए
बोल क्या
खट्टी चीजे दीजिए ताकि नशा तुरंत उतरने लगे

तेरे सब सुझाव बहुत मदद करने वाले है

पापा से समझने की करे क्या कारण है उनके पीने की हो सकता है वो किसी दुःख मे पी रहे हो उन्हें हिम्मत दीजिए और पापा को समय दीजिए निश्चित रूप से पापा ठीक हो जाएंगे

मेरी बेटा/बेटी बहुत समझदार है
आज तक मैंने कभी इतना नहीं सोचा बस ताने मारे पर आज बहुत अच्छी तरह समझाया

ये ले
कहकर माँ ने हलवा बनाया और कहा अब से तुझपर कोई रोक टोक नहीं होगी
आज तक तुझे कहीं जाने नहीं दिया
अब तू घूम जितना घूमना है

थैंक्स माँ

कहकर बाइक पर बैठकर आंखो से ओझल

थोड़ी देर धीरज के पिता आए

आज उनके पैर लड़खड़ा नहीं रहे थे
पर जैसे ही मुँह खुला थोड़ी बदबू आयी

आप आज भी पीकर आए
मैं कोशिश कर रहा हूं रोज पर इस आदत को छुड़ा नहीं पाता क्या तुम मेरी मदद करोगी मैं बिना शराब वाला जीवन जीना चाहता हूं

मैं आपकी मदद जरूर करूंगी
करुना देवी ने धीरज को नींबु का अचार दिया की इससे फर्क होगा

नींबु के अचार से धीरज का नशा थोड़ी देर मे उतर गया
करुणा देवी ने कॉफी बनाकर दी

आप थोड़े दिन कहीं मत जाइए

ठीक है मैं कहीं नहीं जाऊँगा
आज काफी दिनों बाद करुणा देवी मुस्कुराई थी

धीरज भी मुस्कुरा दिए

दूसरी तरफ आज बाइक पर घूमते हुए ऐसा लग रहा था
मानो अंदर का बोझ हल्का हो गया
क्योंकि नाता नहीं किसी से बस काम आना सभी के फिर साइड मे हो जाना
ये विचार आने के बाद अपने आप मुस्कान आ गई

धीरे धीरे बारिश की बूंदे शुरू हो गयी
वो भी कह रही थी हर पल जियो

करुणा देवी
धीरज के गले लग गयी

आज इतने सालों बाद उन्हें धीरज के गले लगकर बहुत सुकून मिल रहा था

धीरज को भी यही अनुभूति हो रही थी
उन्हें वो प्यार मिला जो वो भूल गयी थी ।

समाप्त
30/6/2024
11:35 रात्रि
© ©मैं और मेरे अहसास