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जय भीम...
आस्था और श्रद्धा, दो ऐसे शब्द जिनका कभी दुरुपयोग हो जाए तो पूरा समाज का पतन हो सकता है। ऐसी दो बातें जिनका दुरपयोग पूरे विश्व को खत्म कर सकती है। आस्था पाखंड और श्रद्धा अंधश्रद्धा बन कर समाज में ऐसा विष फैलाती है जो शायद समाज के हर एक व्यक्ति को ही नहीं बल्कि समूचे देश को आपदा में डाल सकती है।

आज भगवानों की बात करते है, बात करते है ऐसे भगवानों की जो आज अंधश्रद्धा के सबसे बड़े व्यापारी है। जिनकी वजह से देश मिट्टी में मिल रहा है।

१. कृष्ण

एक ग्वाला जो कभी हुआ भी है या नहीं हुआ। शैतान आदमी जो कई गोपियों का कितना ही नुकसान कर के गया। महाभारत जैसा भयानक युद्ध करवा के गया। चरित्र तो इतना गंदा की सोलह हज़ार आठ तो रानियां रखता था। और तो और उसके और द्रोपदी के संबंध तक पर शंका होती है।

२. राम
एक ऐसा मर्यादावादी आदमी जिसने ऐसा मर्यादपालन का ढोंग रचा कि सत्ता की लालसा में अपनी पत्नी तक को जंगल में भिजवा दिया। एक प्रखर विद्वान रावण की हत्या कर के खुद को भगवान बनाए बैठा है। बंदरों के साथ के अलावा कुछ कर भी नहीं सकता था। कैसे भगवान बन गया पता नही।

३. शिव
बाध की चमड़ी पहनने वाला एक दिगंबर, राख लगाने वाला एक सनकी, बैल की सवारी करने वाला ढोंगी। और न जाने कैसे कैसे विशेषण वाला पागल भगवान। कैसे भगवान कहलाता है।

४. देवी
बिना वस्त्रों वाली, कभी गहने तो कभी खोपड़ियां तो कभी भैसे तो कभी लाशों के साथ फोटो खिंचवाने वाली। अलग अलग नामों में पूजी जाने वाली इसी सनकी शिव की सनकी पत्नी, नाम भी पार्वती। बताओ भला पर्वत कैसे बेटी पैदा कर सकता है? कैसे देवी बन गई ये तो खुद उस को ही नहीं पता होगा।

ऐसी बातें करने का हक़ शायद किसी को नहीं होना चाहिए। जिस धर्म की ऐसी खिल्ली उड़ाई जाती है उस धर्म को जानो तो जीवन सफल हो जाए। और ऐसी बातें भी वही लोग करते है जो इसी धर्म के है परंतु न जाने कैसे सुधर गए।

जय भीम जय भीम बोलने वाले कुछ लोग जो जिस भीम की जय बुला रहे है उसका नाम और गंदा बनाते जा रहे है।

ये दल्ले लोग भीम को बेचने लगे है, प्रचार के नाम पर अनापशनाप बकते है। अगर आज बाबासाहेब ज़िंदा होते तो शायद ख़ुद आत्महत्या कर डालते कि कैसे नीच लोगों के लिए मेरा जीवन खपाया मैंने।

एक महान योगी जिसने गीता जैसे अद्भुत ज्ञान दिया है। जिसको अगर आप बिना किसी द्वेष से पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि जो उन्होंने बताया है वो गूढ़ ज्ञान ही उनके भगवान होने का सबूत है। उस योगेश्वर के तप के दर्शन उस ग्रंथ में मिलेंगे। जिन्होंने ऐसा जीवन जीया कि उनको आदर्श मान कर आप भी अगर जीवन जीते है तो जीवन सफल हो जाए।

एक ऐसा योद्धा जिसने असंभव कार्य को संभव किया। अपनी पत्नी की रक्षा हेतु जिसने रावण जैसे भयानक राक्षस से युद्ध कर डाला।
जिसने धर्म और मर्यादा की नीव को मजबूत बनाया। जिसने यह भी साबित कर बताया कि मर्यादा में रहकर भी जीवन जिया जा सकता है। एवं समाज कल्याण करने वाले व्यक्ति को परिवार तक को अगर छोड़ना पड़े तो हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।

यहां में भगवान के होने या ना होने की बात नहीं कर रहा हूं, बात हो रही है कि क्या कृष्ण उतने काबिल है कि आज उनके इस सम्मान के जो उन्हें दिया है इस सनातन धर्म ने?

जवाब है हां, कभी वेद पढ़ा है? कभी वेदांग पढ़ा है?, कभी उपनिषद टटोले है?, कभी गीता पढ़ी है? तो किस आधार पर आप गाली बोल सकते हो?

बाबासाहेब के बारे में कितना पढ़े हो? जानते भी हो वो बाबासाहेब भी बन सके तो एक राजा की दी हुई स्कॉलरशिप की मदद से। वरना आज नामो निशान तक न होता उनका। सोचो वो राजा ने तब कौनसा अस्पृश्यता का दंभ किया था?

बाबासाहेब गलत नहीं थे, वह एक सच्चे आदमी थे। परंतु इस बात का खयाल भी रखे कि वो भी एक इंसान थे। गलतियां उनसे भी हुई थी। और बहुत हुई थी। उनकी सबसे बड़ी गलती तो उनका धर्म परिवर्तन है। उनकी इस हरकत से साफ़ ज़ाहिर होता है कि वह सिर्फ़ एक वर्ग को भड़काने का पूरा प्रयत्न कर रहे थे। जैसे जिन्ना ने देश को बाटने की सफल साज़िश की वैसी बाबासाहेब ने दलितास्तान की भी की थी।

मेरा मत बस इतना है कि बात को समझो आज अगर मुझे किसी मुसलमान से कुछ अच्छा सीखने मिलता है तो मुझे वो अपने जीवन में लागू करना चाहिए। उसे इस लिए नहीं धूतकार सकता हूं कि वह एक मुसलमान है। इस्लाम में भी बहुत बातें अच्छी है जो सीखने लायक है। वैसे है व्यक्ति व्यक्ति में कुछ गुण है और कुछ अवगुण भी। अंध भक्ति के विरोधी जो बाबासाहेब को भगवान के भी ऊपर बैठा रहे है वो समझें कि जो भगवान की अंध भक्ति करते है उनकी भक्ति में उन्हें किसी के बारे में बुरा भला बोलना नहीं सिखाया जाता जबकि अंध आंबेडकरवादी जो करते है असहनीय होता है इतना गन्दा बोलते है।

मैं भी आंबेडकर जी को मानता हूं उनके कामों को सराहना भी जानता हूं मगर इसका मतलब ये नहीं हो जाता कि उनकी गलतीयों की भी तारीफ़ करने लगूं। मुझे जितना उनमें अच्छा लगा मैने लिया है।

भगवान बुद्ध की सारी बातें मैंने जीवन में उतारी है परंतु इसका मतलब ये नहीं कि कृष्ण से कुछ सीख नहीं मिलती। राम से कुछ सीख नहीं मिलती। राम के जीवन में कोई गलती है ही नहीं। कृष्ण के जीवन में कोई गलती है ही नहीं। बुद्ध के जीवन में कोई गलती है ही नहीं। और इसी वजह से मैं इनको भगवान मानता हूं। मगर आंबेडकर एक दृष्टांत की दृष्टि से देखे जाएं और न ही आंबेडकर परंतु स्वामी विवेकानंद, प्रभुपाद, स्वामी दयानंद सरस्वती, आदिगुरु शंकराचार्य, महात्मा गांधी, सरदार पटेल, आचार्य चाणक्य और भी बहुत से लोग दृष्टांत की दृष्टि से देखें। और कृपा करके उन्हें एक दूसरे से किसी भी तौर पर तोले नहीं।


हरे कृष्ण हरे राम जय भीम





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