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पीङा😕
दुनियाँ का सबसे बदनसीब और बदसूरत पल जानती हो कब होता है , जब तुम्हारी आँखो का काज़ल फैल जाता है औऱ तुम्हारी मोटी-मोटी इन आँखों से आसुंओं का सैलाब उमड़ पड़ता है ।
जिन पलकों की छांव में मैंने कई गर्मियाँ गुजारी हैं , मैंने जिन आँखो में अपनी एक दुनियाँ देखी है , जिसके काजल का काला रंग मुझे दुनियाँ में सबसे सुंदर औऱ सबसे गाढ़े रंग से लगता है , उसका यूँ इस तरह फ़ैल कर फ़ीका पड़ जाना मेरी बेचैनी बढ़ा दिया करता है ।

जब पूरा दिन समझदारी के कई ऐसे नमूने मेरे सामने रख दिया करती हो , जिसमें तुम्हारी समझदारी देखकर मैं घमंड करने लगता हूँ , वहीं रात को एक छोटी सी बात पर तुम्हें यूँ बच्चों की तरह रोता हुआ देख मेरे कँधे कमजोर पड़ जाते हैं । मैं तुम्हें रोता हुआ देखकर ये भूल जाता हूँ कि ग़लती किसकी है , बस मैं तुम्हें चुप करा देने में लग जाता हूँ ।
मुझे लगता है कि मैं दुनियां का सबसे हैवान आदमी हूँ जिसने तुम्हें रुलाया है , उसे जिसने मुझे ज़रूरत से कहीं ज्यादा प्रेम किया ।

उस वक़्त रोते हुए कही गई तुम्हारी हर बात मेरे सीने को चीरती है , मैं जब नाकाम होने लगता हूँ तुम्हें चुप कराने में , मैं एक माँ की तरह व्यवहार करने लगता हूँ , जो अपने रोते हुए बच्चे को चुप कराने के लिए उसे गले नहीं लगाती बल्कि उसे औऱ जोर-जोर से डाँटने लगती है , वो चाहती है कि बच्चा किसी भी तरह शांत होना चाहिए ..
मैं भी चिढ़ने लगता हूँ , मुझसे नहीं देखा जाता है तुम्हें इस तरह रोते देखना ..!!

असल में मैं तुम्हें इसलिए नहीं चुप कराना चाहता हूँ क्यूँकि तुम रो नहीं रही हो , मैं बस इसलिए इतना बेचैन हो जाता हूँ कि तुम्हारे गिरते हुए हर एक आँसू का दोषी मैं ख़ुद को मानने लगता हूँ , मैं ईश्वर से डरने लगता हूँ , मैं तुम्हारी सिसकियों से डरने लगता हूँ , मैं तुम्हारे काज़ल से डरने लगता हूँ जिसमें मुझे मेरे भविष्य का काला अँधेरा दिखाई देता है...!!


© Rising_लेखक