...

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कसक
भाग 2


पायल क़ी ओर से कोई जवाब कभी मयंक तक पहुंच ही नहीं सका...!

चिट्ठी तो पकड़ी गई थी...

घर वालों को तो अब मालूम हो गया था कि, मानसी को कोई चिट्ठी लिख रहा है...!
मानसी पर कड़ी नज़र रखनी घरवालों ने सुरु कर दी थी...!

चिठ्ठी मे कभी पायल का जिक्र भी हुआ था, ये बात मानसी ने कभी पायल से कही ही नहीं...!

पायल को ये कभी मालूम ही नहीं पड़ा कि,
कभी कुछ पलो के लिए ही सही, मयंक ने उसकी चाहत पाली थी....!

मानसी के साथ चिट्ठीयो का सिलसिला थम गया,
किसकी चिट्ठीया आती थी, ये तो घर वालों को कभी पता नहीं चल सका...!

क़िस लड़के ने चिट्ठी लिखी होंगी
इस बात का शक गुड्डू और मयंक दोनों पर ही अधिक था...!


अब इन तीनो की लाइफ आगे जाकर तीन अलग अलग मोड़ पर मुड गयी..

"गुड्डू "तो मानसी के घर वालों से अत्यधिक डर गया....!

उसके लगता था, कि अगर वो कभी पकड़ मे आ गया तो उसे खूब, मार पड़ेगी, मानसी के घर वालों से भी और उसके अपने भी घर वालों से...!

मयंक पढ़ाई मे बहुत तेज़ था... उसे पढ़ लिख कर आगे कुछ करना था...

मानसी ये जान चुकी थी, और मान भी चुकी थी,कि मयंक के दिल मे कोई और है... वो उसे नहीं...पायल को चाहता था....!

प्रेम वाला चैप्टर तो जैसे इन तीनो के लिए शुरू होने से पहले ही ख़तम हो गया था...!

अब तो,
मानसी, कभी मयंक के सामने पडती भी नहीं थी!
मयंक अगर उसे सामने से आता हुआ भी दिखता था, तो वो अपना रास्ता बदल देती थी...!

मयंक, कभी उसे किसी चौक पर खड़ा दोस्तों के साथ नज़र भी आता,तो उस रास्ते से वो कभी गुजर थी भी नहीं थी....!

पर, उसे अब भी आस थी, कि कभी मयंक ही उसे कभी कुछ कह दे....!

पर उसकी ये आस कभी पूरी ही नहीं हुई...!

उनमे कभी इज़हार ए मोहब्बत हुआ ही नहीं...

इन तीनो के बीच जो मोहब्बत का सैलाब आया था उसने अपना रास्ता बदल दिया था....!

कुछ साल बाद,
मानसी के लाइफ मे किसी और की एंट्री हुई,उसके घर का माहौल वैसा ही सख्त था !
पर, इस बार मानसी ने बहुत डट कर सामना किया, और अपने प्यार को मंजिल दिला कर ही मानी...!

मानसी की सहेलियों ने, बहनो ने उसे "मयंक" का प्यार याद दिलाने की कोशिश भी की...!

पर मानसी ने कभी भी उन्हें,
उस चिठ्ठी के बारे मे नहीं बताया, जिस चिट्ठी मे मयंक ने, पायल के लिए अपनी फीलिंगस लिखी थी...!

वो क़िस वजह से मयंक के प्यार को भुला कर किसी और के प्यार को अपना रही थी...!

मानसी बेहद आहत थी..पर उसने ये बात कभी किसी पर जाहिर नहीं होने दी...!

मानसी से किसी को पहली नज़र मे ही प्यार हो गया था...!
उसने मानसी के आगे, प्रेम, और शादी दोनों का ही प्रस्ताव रखा... उसे मानसी ने सहज़ ही स्वीकार लिया..!

मानसी जल्द से जल्द उस माहौल से दूर जाना चाहती थी...!

ये, वो दिन था, जब मानसी की शादी थी...!
मानसी अपने लाइफ को लेकर बहुत ख़ुश थी...!
वो ख़ुशी खुशी अपने घर से विदा हो रही थी....!

मयंक ने जैसे ही सुना की मानसी ने अचानक शादी का फैसला ले लिया... ये उसके लिए किसी आघात से कम नहीं था...!

उसने कभी ये सोचा ही नहीं था... कि.. मानसी कभी भी किसी और से शादी का फैसला लेगी...!
और वो भी इतनी जल्दी...!

उसने तो सोच रखा था, कि जब वो कुछ बन जायेगा.... तो वो जाकर मानसी के घर वालों से शादी की बात करेगा...!

पर नियति को शायद कुछ ही मंजूर था...
जवानी के दहलीज के पहले कदम के प्यार को कौन सीरियसली लेता है,

ये सोच कर मानसी आगे बढ़ रही थी....!


मयंक हताश सा उसे किसी और का होते... देख रहा था...!

गुड्डू तो उसी वक़्त मानसी के घर वालों के डर की वजह से मैदान छोड़ चूका था....,

मानसी की शादी हो गई..मानसी अपने घर गृहस्थी मे लग गई...!

जिस मोह्हले मे ये लोग रहते थे,मयंक उस जगह का मकान बेच कर वहां से जा चूका था, मानसी की यादें उसे वहां परेशान करती थी...!

मानसी का और उसका सामना फिर कभी नहीं हुआ...!
मयंक, चाहता तो... पायल से अपने दिल की बात कह सकता था...!
पर, उसने मानसी की शादी के बाद पायल तक कभी, पहुंचने की कोशिश की ही नहीं...!

मानसी के अचानक शादी के फैसले ने उसे अंदर तक तोड़ दिया था....!


आज वो बहुत अच्छे पद पर कार्यरत था... जीवन मे उसके कोई कमी नहीं थी...!
गुड्डू और उसकी दोस्ती यथावत बनी हुई है...!

और,आज भी मयंक गुड्डू से मिलने के उस मोह्हले मे जाता है, और घंटो बैठ वो लोग पुराने दिनों को याद करते...!

उसमे मानसी का भी जिक्र होता था...!
वो दोनों बैठते, इस बात पर खूब हसते, कि "मानसी,ना तो तेरी ही हुई ना मेरी,"
उसने तो कोई और ही ले गया "


पर मयंक जानता है, मानसी को खोने का दुख....!
मयंक आज भी खुद को इस बात के लिए दोषी मानता है कि,
काश, उसने वो गलती नहीं की होती, पायल का जिक्र उन चिट्ठीयों नहीं करता...!

और...

समय रहते मानसी से अपने प्रेम का इज़हार कर देता तो आज कहानी कुछ और होती...!






स्मृति.