कई रात गुजरी,मेरी ज़िंदगी में,मैं उस रात को प्रिए कैसे भुला दूं??
कई रात गुजरी ,मगर जिंदगी में
मैं उस रात को प्रिए कैसे भुला दूं??
कई बार मांगी गई, रात दिन में
कि इकरात आकरके मैंही सुला दूं।।
आयेंगे सावन को जब आना होगा
थी उनकी तमन्ना की मैं ही झुला दूं।।
न कोई पिया न ही कोई दियाँ
थ इतना नशा कि आंखें जली थी।
कैसे कहूं कि करोड़ों की कीमत
मुझ पर मुफत में लुटाई गई थी।।
कई रात गुजरी ,मगर जिंदगी में।
मैं उस रात को प्रिए कैसे भुला दूं??
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