...

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अलविदा।
वह शाम बहुत धुंधली थी
जैसे कुछ कहना था उसे
समय की पगडंडियों पर
बढ़ते हुए रात की ओर
कशमकश से हर एक कदम
जैसे बादल लगी हो
जैसे ढलता सूरज दिखेगा ही नहीं
सर्द बहुत सर्द, जैसे ठंडी शाम हो
बर्फीली ,तूफान आने वाली हो
धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी...