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एक छोटी-सी प्रेम कहानी 1
ये कहानी पढ़ने मे बहुत ही साधारण और सुलझी है.. आशा है कि पसंद आएगी..
ये एक छोटी सी कोशिश है मेरी बस..


ये कहानी है एक छोटे से गांव की जहां एक लड़का और लड़की रहते थे,जो शुरू से ही एक गांव में रहे, वही छोटे से बड़े भी हुए मगर समय का खेल देखो कभी एक - दूसरे से नहीं मिले। और जब मिले तो पहली ही नज़र मे दिल दे बैठे।

ये कहानी है पुलकित और पलक की...

जहां एक ओर पुलकित बड़ा ही होशियार था.. पढ़ाई में भी अच्छी पकड़ थी उसकी और दिमाग भी काफी तेज था उसका.. साथ ही साथ देखने में काफ़ी रूपवान था.. और दिल का भी बड़ा उदार था पुलकित।

वहीँ दूसरी ओर पलक भी कम नहीं थी.. उसके रूप और गुण के काफी चर्चे थे गांव मे। पलक भी पढ़ाई में होशियार थी।
मगर अफ़सोस की गांव मे रहने के कारण.. पलक अपनी पढ़ाई पूरी ना कर सकीं.. दशवी तक ही पढ़ी थी।

पुलकित आगे की पढ़ाई के लिए शहर जाना चाहता था और इसके लिए उसने अपने घर वालों को राजी भी कर लिया था। बारहवीं की पढ़ाई के बाद ये पहला मौका था पुलकित शहर जा रहा था। अभी उसके शहर जाने में कुछ दिन शेष थे तो उसने एक दिन सोचा इतना सब अच्छा हो रहा है तो मन्दिर जाकर भगवान जी का भी आशिर्वाद लेना चाहिए और साथ ही साथ धन्यावाद भी कहना चाहिय।

अगली सुबह पुलकित मन्दिर जाने के लिए तैय्यार हुआ और निकल पड़ा।
उसी दिन पलक भी मन्दिर जाने वाली थी और वो भी उसी समय पर मन्दिर गई जिस समय पुलकित वहां आने वाला था।
दोनों अपने समय पर मंदिर पहुचें.. पूजा अर्चना कर दोनों जैसे ही मन्दिर से बाहर आए तो पुलकित की नज़र पलक पे पड़ी और वो उसे एकटक देखता रह गया। उसे इतना भी होश ना रहा कि पलक की नज़रों से वो बचा नहीं था वो भी उसे ही देख रही थी।
हालांकि दोनों एक-दूसरे को देखने के अलावा कुछ बात नहीं कर पाए और करते भी तो कैसे... गांव में किसी से बात करना इतना आसान कहां हुआ करता था।

शायद यहीं से प्यार का सिलसिला शुरू हो चुका था जिसकी खबर ना तो पुलकित को थी और ना तो पलक को।
मगर कुछ तो था जो दोनों को सताता था.. उस दिन के बाद से दोनों को एक-दूसरे की याद आती पर कर कुछ नहीं सकते थे सिवाय इंतजार के की कब फिर दोनों का आमना सामना हो।

फिर एक दिन आया जब दुबारा दोनों का आमना सामना हुआ... ये पूरे 4 दिन के बाद हुआ जब दोनों एक-दूसरे के सामने थे...
दिल में एक अजीब सी हलचल थी और मन में खुशी की लहर सी दौड़ गई थी। बहुत मुश्किल से उन्हों ने कुछ बातें करी जो पूरी भी ना हो पायी।
पर धीरे धीरे दोनों के बातों का और मिलने का सिलसिला शुरू हो गया और इसी के साथ शुरू हुआ खत्म ना होने वाला प्यार का सिलसिला... जो एक-दूसरे को देखने से शुरू होकर कभी ना खत्म होने वाले प्यार के मुकाम पर जा पहुंचा।


फिर एक समय वो भी आया जब पुलकित को पढ़ाई के लिए शहर जाना पड़ा, मगर दोनों का प्यार जिंदा रहा।
जब भी पुलकित को छुट्टियाँ मिलती वो सीधे गांव आता और पलक से मिलता.. पलक भी उसका इंतजार करती।

समय अपनी गति से बढ़ता रहा.. अब पुलकित की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी।
शहर में नौकरी करने से अच्छा पुलकित ने गांव वापस आकर अपने पिताजी के कारोबार में मदद करना बेहतर समझा और उसने वही किया। घर वाले भी उसके इस फ़ैसले से खुश थे।

इधर पलक के घर वाले भी अब उसकी शादी के लिए लड़का ढूँढ रहे थे.. कोई अच्छा लड़का मिले तो पलक की शादी करा दी जाए।
ये बात पुलकित को भी पता चली तो उसने भी अपने घर मे अपने और पलक के रिश्ते के बारे में बताना ही बेहतर समझा।

दोनों के घर वाले अच्छे स्वभाव के थे और वो भी ये समझते थे कि दोनों की खुशी में ही सबकी खुशी है।
इसलिए दोनों की शादी तय हो गई... यहां से दोनों की जिंदगी का नया सफर आरंभ हुआ।
निश्चित तारीख पर दोनों की शादी हो गई।

क्रमशः


© Aayushi Shandilya
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