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वर्षा का यौवन
सावन के महीने में वर्षा की सुंदरता हर किसी को देखने को मिलती है
वर्षा रूपी नायिका जब जब आती है तब तब हरव्यक्ति के चेहरे पर मुस्कुराहट फूट पड़ती है
धरती और फसलें भी इस नायिका का सौंदर्य देखकर बाग बाग हो जाती है
जैसे वर्षा रूपी नायिका धरती रूपी प्रेमी जो बहुत दिनों से बिछड़े हुए थे आज वह दो प्रेमी आपस में मिल रहे हैं
इस नायिका की सुंदरता का बखान मैं कहां तक करूं ये इतनी सुंदर है
की लेखिका के पास कहने के लिए शब्द ही
नहीं हैं
मानो की साक्षात रम्भा स्वर्ग से नीचे चली आ रही है
सफेद झीनी साड़ी में काले काले मेघ रूपी बालों को लहराते हुए आकाशगंगा से स्नान करके आई हो
जिसके कारण उसका पूरा बदन चांदी की भांतिचमक रहा है
आकाश मार्ग में गड़गड़ाहट करते हुए दामिनी से सजा हुआ रथ है
जिसमें सफेद मेघ रूपी घोड़े हैं
जो रथ को नीचे की तरफ ला रहे हैं
उस नायिका का यौवन अपनी तरफ सबको मोहित कर रहा है
उसके आते ही धरती लोक पर खेतों में जुताई के लिए किसान बैल लेकर चल पड़ते हैं
फसले भी नायिका के आते ही खिल उठती है
चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दिखाई पड़ती है
इस संसार में हर प्राणी जीव जन्तु
उस नायिका की एक झलक पाने के लिए लोलुप रहते हैं
भला ऐसी नायिका जो सबको प्रसन्न रखती है जो मन से भी सुंदर है और तन से भी सुंदर है
कुछ समय के बाद वह नायिका अपने लोक में चली जाती है
यहीं पर वर्षा के यौवन की सुंदरता की प्रशंसा खत्म होती है
© Mamta