आत्म श्रद्धा और आत्म विश्वास का महत्व
*आत्म श्रद्धा और आत्म विश्वास का महत्व*
मनुष्य ने स्वयं में अन्तर्निहित क्षमताओं और शक्तियों के उपयोग द्वारा समुद्र की गहराई से लेकर चन्द्रमा तक पहुंचकर अपनी असीमित प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए अनगिनत अविष्कारों और उपलब्धियों का अम्बार लगा दिया है । इन सभी सफलताओं के लिये मनुष्य को अपनी शक्तियाँ उपयोग में लाने की क्षमता पर पूर्ण विश्वास होना भी आवश्यक था, अन्यथा सफलता के नाम पर उसके हाथ खाली ही रह जाते । इन समस्त अविष्कारों, उपलब्धियों और सफलताओं हेतु किये गये कठोर परिश्रम के गौरवशाली और प्रेरणादायक इतिहास ने मनुष्य को शक्तियों के भण्डार के रूप में परिभाषित किया है ।
आत्म विश्वास और आत्म श्रद्धा ही मनुष्य को अपनी विलक्षण क्षमताओं का उपयोग करने की प्रेरणा देती है । अपने भीतर की विलक्षण क्षमताओं के प्रति आस्था जितनी प्रगाढ़ होगी, सफलता भी उतनी ही महान होगी । लक्ष्य प्राप्ति हेतु वांछित हिम्मत तभी आती है जब मनुष्य में विद्यमान अद्भुत विशेषताओं, क्षमताओं और शक्तियों के प्रति आत्म श्रद्धा या आस्था पल्लवित होती है । उच्च कोटि के आत्मविश्वास और लक्ष्य के प्रति अडिगता ने हमेशा विस्मयकारी परिणाम दिये हैं ।
अपनी क्षमताओं पर पूर्ण आस्था, दृढ़ निश्चय और आत्म विश्वास के साथ आगे बढ़ने के अतिरिक्त सफलता पाने का अन्य कोई नियम नहीं है । सफलता देवकृपा से नहीं मिलती, बल्कि आत्म श्रद्धा, कठोर परिश्रम और कष्टों को सहन करने की क्षमता ही सफलता दिलाती है । किसी व्यक्ति के शक्तिशाली होने, बौद्धिक रूप से प्रखर होने या किसी ऊँचे और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय का मेधावी छात्र होने के उपरान्त आत्म विश्वास या आत्म श्रद्धा का अभाव उसे सफल नहीं बना सकता । यह निर्विवाद नियम है कि स्वयं पर पूर्ण विश्वास और श्रद्धा रखने वाला ही सफल होता है ।
लोगों द्वारा काल्पनिक और तुच्छ समझी गई उपलब्धियां हासिल करने में अनेक महान आत्माओं ने अविश्वसनीय सहन शक्ति का परिचय देते हुए अपना जीवन खपाकर मानव सभ्यता की उन्नति हेतु अनेक महत्वपूर्ण साधन उपलब्ध कराये । यदि लोगों के उपहास, तानों और आलोचनाओं के प्रभाव में आकर उनके द्वारा अपने प्रयासों को थमा दिया जाता तो विकास के नाम पर आज भी मानव सभ्यता सदियों पुरानी व्यवस्थाओं पर चल रही होती । यह सार्वभौमिक नियम है कि लक्ष्य जितना महान होगा, त्याग भी उतना ही करना पड़ेगा । यह सम्भव है कि अपने उद्देश्य की पूर्ति में अपनी सम्पत्ति, स्वास्थ्य, सामाजिक प्रतिष्ठा और...
मनुष्य ने स्वयं में अन्तर्निहित क्षमताओं और शक्तियों के उपयोग द्वारा समुद्र की गहराई से लेकर चन्द्रमा तक पहुंचकर अपनी असीमित प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए अनगिनत अविष्कारों और उपलब्धियों का अम्बार लगा दिया है । इन सभी सफलताओं के लिये मनुष्य को अपनी शक्तियाँ उपयोग में लाने की क्षमता पर पूर्ण विश्वास होना भी आवश्यक था, अन्यथा सफलता के नाम पर उसके हाथ खाली ही रह जाते । इन समस्त अविष्कारों, उपलब्धियों और सफलताओं हेतु किये गये कठोर परिश्रम के गौरवशाली और प्रेरणादायक इतिहास ने मनुष्य को शक्तियों के भण्डार के रूप में परिभाषित किया है ।
आत्म विश्वास और आत्म श्रद्धा ही मनुष्य को अपनी विलक्षण क्षमताओं का उपयोग करने की प्रेरणा देती है । अपने भीतर की विलक्षण क्षमताओं के प्रति आस्था जितनी प्रगाढ़ होगी, सफलता भी उतनी ही महान होगी । लक्ष्य प्राप्ति हेतु वांछित हिम्मत तभी आती है जब मनुष्य में विद्यमान अद्भुत विशेषताओं, क्षमताओं और शक्तियों के प्रति आत्म श्रद्धा या आस्था पल्लवित होती है । उच्च कोटि के आत्मविश्वास और लक्ष्य के प्रति अडिगता ने हमेशा विस्मयकारी परिणाम दिये हैं ।
अपनी क्षमताओं पर पूर्ण आस्था, दृढ़ निश्चय और आत्म विश्वास के साथ आगे बढ़ने के अतिरिक्त सफलता पाने का अन्य कोई नियम नहीं है । सफलता देवकृपा से नहीं मिलती, बल्कि आत्म श्रद्धा, कठोर परिश्रम और कष्टों को सहन करने की क्षमता ही सफलता दिलाती है । किसी व्यक्ति के शक्तिशाली होने, बौद्धिक रूप से प्रखर होने या किसी ऊँचे और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय का मेधावी छात्र होने के उपरान्त आत्म विश्वास या आत्म श्रद्धा का अभाव उसे सफल नहीं बना सकता । यह निर्विवाद नियम है कि स्वयं पर पूर्ण विश्वास और श्रद्धा रखने वाला ही सफल होता है ।
लोगों द्वारा काल्पनिक और तुच्छ समझी गई उपलब्धियां हासिल करने में अनेक महान आत्माओं ने अविश्वसनीय सहन शक्ति का परिचय देते हुए अपना जीवन खपाकर मानव सभ्यता की उन्नति हेतु अनेक महत्वपूर्ण साधन उपलब्ध कराये । यदि लोगों के उपहास, तानों और आलोचनाओं के प्रभाव में आकर उनके द्वारा अपने प्रयासों को थमा दिया जाता तो विकास के नाम पर आज भी मानव सभ्यता सदियों पुरानी व्यवस्थाओं पर चल रही होती । यह सार्वभौमिक नियम है कि लक्ष्य जितना महान होगा, त्याग भी उतना ही करना पड़ेगा । यह सम्भव है कि अपने उद्देश्य की पूर्ति में अपनी सम्पत्ति, स्वास्थ्य, सामाजिक प्रतिष्ठा और...