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इश्क इबादत -६
जिंदगी कभी कभी ऐसे अंजान रास्तों पर ले जाती है की हम बस अचंभित से ताकते रह जाते है और आपकी जिंदगी में कई अप्रत्याशित घटनाएं एक के बाद एक अकस्मात ही बाद घट जाती है। हम कुछ समझ पाए उससे पहले सब बदल जाता है।वैष्णवी के कदम उस रास्ते पर बड़ी तेजी से बढ़ रहे थे।सब कुछ इतना हसीन तो जिंदगी में कभी नही था उसे अपने आप से प्यार तो था ही अब किसी और से भी हो गया था। जब भी वैष्णवी मेडिटेशन (ध्यान) में बैठती तो अपनी उस इच्छा पे ध्यान केंद्रित करती जो उसे जिंदगी में खुशी दे। अब उसका ध्यान विश्वास था वो जब ध्यान विश्वास पर केंद्रित करती तो अपने सांसों की लय बड़ी आसानी से महसूस कर पाती थी। विश्वास तैयार था श्रुति और अनुपम को मिलाने के लिए। मुश्किल मगर ये थी की ले कॅंहा जाए? बड़ी जद्दोजहद के बाद दोनो ने तय किया की श्रुति और अनुपम को खड़ेश्वरी मंदिर ले जाते है।
विश्वास - सुन तू कल श्रुति के साथ कोचिंग के बाहर 10बजे सुबह आ जाना। बाकी मैं देख लूंगा। और हां श्रुति को बोल देना की अनुपम को भी यहां आने बोल देगी।
वैष्णवी - ठीक है। लेकिन ?
विश्वास - हा! हा! हा! तू घबरा मत मैं हूं ना।(वैष्णवी के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला।जैसे वैष्णवी के मन की बात बिन कहे समझ गया हो)
वैष्णवी सिहर जाती है। और विश्वास पर एक प्रेमपूर्ण नज़र निहार कर चली जाती है।
सब कुछ ठीक अपने तय समय पर तय जगह पर पहुंचते है।और श्रुति वैष्णवी से अनुपम की मुलाकात करवाती है हां जी वैष्णवी भी अनुपम से पहली बार मिल रही थी बस उसने नाम सुना था श्रुति से।विश्वास आता है white शर्ट में उफ्फ उसे देख के ही वैष्णवी का तो दिल से काबू ही जाता रहा बस लगा जैसे गले लगा के चूम ले उसे।मगर संभाला उसने खुद को। अच्छा आपको पता है लड़कियों में ये एक बड़ी खूबी होती है लाख तूफान हो अंदर मगर चेहरे पर वही दिखेगा जो वो चाहती है की दिखे। to be continued
© shubhra pandey