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बांस की कमी
बांस की कमी..

सुबह सुबह पिताजी अखबार पढ़ते हुए बोले " आ दिनाँ बांस बहोत म्हेंगो होगो, दुनियाभर का रावण बण रिया छे..इं सूं भी demand बढ़ गी"
बात तो सही है, कभी दो तीन गांव मे एक रावण होता था..अधिकतर तो नजदीकी बड़े शहर में ही रावण देखने को जाना पड़ता था...अब मोहल्ले, गली और घर घर मे रावण बन रहे है.. कोई दाम खर्च करके ला रहा हैं ..बच्चों को राम बनना कोई नहीं सिखाता किन्तु रावण बनाना और फिर जलाना सब सीखा रहे हैं...राम बनाने मे enjoyment नहीं है..रावण जलाने मे खूब मज़ा आता है..फट ..बम..फटाक।
"मेरे बच्चे का रावण कितना सुंदर है " यह कहती मम्मीयां और फूल कर कुप्पा होते टिंकू गोलू...मुस्कराते...