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घर की लक्ष्मी
छाया की मां और बहन खेत साफ करने निकली, क्योंकि कल लेंटर जो पड़ना था मकान को। इसलिए मजदूरों को खाना खिलाना था और जगह साफ करनी थी।
और छाया को कहा कि उपले बना देना और पानी भर देना। छाया ने देखा कि नल में पानी आ गया।
और छाया पानी भरने लगी। घर में पाइप की सुविधा नहीं होने के कारण, सरकारी नल से घर के लिए पानी लाना पड़ता था। छाया सोच रही थी कि जल्दी से ये काम करके मां के पास जाऊं, मैं भी करदुं सफाई जाकर। छाया पानी भर के मां के पास गई।
तभी वहां ताया जी आए और बोले :- तू भी आयी। हाहाहा सफाई होने के बाद ?? हाहा
छाया को गुस्सा आया। मगर गुस्सा दिल में दवा कर कहा :- हां
जुबान कस कर , गुस्सा रोक कर।
फिर कुछ देर बाद सभी घर गए। रास्ते में मां बोली :- हमारी छोटी बेटी बहुत काम करती है।
हमारी सबसे छोटी वाली बेटी भी बहुत काम करती है।
ताया बोले :- हां बहुत काम करती। सही बात है।
मां बोली:- हां ये छोटी तो जहां भी जाएगी घर को स्वार्ग बनाएगी।

छाया को पता था कि उसे ही सुनाया जा रहा है। मगर चुप रही। और सोचने लगी कैसे मजदूर अंकल भी उसकी छोटी बहन को कह रहे थे कि वो तो घर की लक्ष्मी है।

छाया को पता था कि सच क्या है। छाया जानती थी कि किस तरह उसकी बहन पूरा दिन अशांति बनाकर रखती है, चिल्लाती रहती है, उसको नीचा दिखाती रहती है। और चुगली में तो नंबर वन है।
मगर छाया सोचने लगी कि जो लड़की बोलती नहीं है इतना और काम शांति से करती है। कभी चुगली नहीं करती, पढ़ने का काम और चित्रकारी करती है। क्या ये लड़की लक्ष्मी नहीं हो सकती।
मगर ये तो वक़्त ही बताएगा कौन लक्ष्मी है।

ये सोचते हुए छाया अपने कमरे चली गई। थोड़ा दुख मनाते हुए मगर एक संतोष के साथ।