"कुमुद "
आवाज देके हमें न बुलाओ,मुहब्बत में इतना ना हम को सताओ
"बंद कर रे,दिनभर गाना बजाना नाँचना और भी कोइ काम है न जाने क्या हो गया है इस लड़कें को"
माँ ने जोर से आवाज लगाई,रेडियो बंद कर मैं निचे उतर आया,
"अरे निकम्मे ,गेहूँ लेजा आटा पिसवा के ही अब आना ,और हाँ रास्ते में कुमुद मिले तो भेजना ,आलू उबाल रखा है चिप्स बनानी है"
मैने सिर हिलाया, और गेहूँ लेकर घर से बाहर हो गया
पास में ही कुमुद का घर था,गाय दुह रही थी,हमनें पीछे से जाकर उसकी आँखें बंद कर दी
"अरे अरे छोड़ गैया बिदक जाएगी,फिर पाउडर का दूध पीना पडेगा"
कुमुद चिखी
हम चार कदम पीछे हो गए,
भरी दूध की बाल्टी लिए वो घर में चली आई मैं भी उसके पीछे हो लिया,
मुझें इस पगली से बातें करना शैतानी करना अच्छा लगता था,जब तब वो तंग होकर झिड़क दिया करती थी
नौटंकीबाज नाम उसी ने दिया था मुझें ,तबसे उसके साथ चुहलबाजी हमारे रोज की आदत में शामिल था,भीतर जाते ही हम उसके बिस्तरपर पसर गये,
उसने एक नजर मुझें देखा फिर झाडू उठाकर बरामदा साफ करने लगी
"ए संजू अम्मा ने बुलाया है ना ,तू चल मैं आती हूँ"
मैं नहीं उठा,झाडू लगाकर कुमुद मेरे पास आ गई,
"अब पिटोगे मेरे हाथों, चलो बहुत काम है"
"मुझें नहीं जाना,तुझे बुलाया है तू जा,आलू के कुरकुरे बनाने है "
उसने मेरी आँखों में देखा
"पहले तू मेरे बिस्तर से उठ नई चादर है खराब हो जाएगी,दिनभर धूल में खेलता है आकर मेरे बिस्तर का सत्यानाश कर देता है"
मैने उसके बिस्तर पर बिछी नई चादर को देखा और सारा बिस्तर उलट उलट पुलठ दिया वो चिखती चिल्लाती मेरे पीछे दौड़ी,मैं सरपट भागा
तब मेरी उमर दस साल और उसकी बारह साल थी,बचपन की यादें आज भी आती है तो कुमुद का चेहरा नजरों के सामने उस बारह साल की अबोध कुमुद का ही आता है उसके साथ शैतानियों में गुजरे एक एक पल याद आतें है और फिर गंगा यमुना में बाढ आ जाती है।
बात करतें है तबकी जब उसकी शादी तय हो गई, मैं भी तब तक बडा हो गया था,मेरी दसवीं का एग्जाम था और उसका गौना
खुब बाजे बजे,मेहंदी सजी,मंगटिका,कनबाली,हाथशंकर,एक से बढ़कर एक गहने उसकी ससुराल...
"बंद कर रे,दिनभर गाना बजाना नाँचना और भी कोइ काम है न जाने क्या हो गया है इस लड़कें को"
माँ ने जोर से आवाज लगाई,रेडियो बंद कर मैं निचे उतर आया,
"अरे निकम्मे ,गेहूँ लेजा आटा पिसवा के ही अब आना ,और हाँ रास्ते में कुमुद मिले तो भेजना ,आलू उबाल रखा है चिप्स बनानी है"
मैने सिर हिलाया, और गेहूँ लेकर घर से बाहर हो गया
पास में ही कुमुद का घर था,गाय दुह रही थी,हमनें पीछे से जाकर उसकी आँखें बंद कर दी
"अरे अरे छोड़ गैया बिदक जाएगी,फिर पाउडर का दूध पीना पडेगा"
कुमुद चिखी
हम चार कदम पीछे हो गए,
भरी दूध की बाल्टी लिए वो घर में चली आई मैं भी उसके पीछे हो लिया,
मुझें इस पगली से बातें करना शैतानी करना अच्छा लगता था,जब तब वो तंग होकर झिड़क दिया करती थी
नौटंकीबाज नाम उसी ने दिया था मुझें ,तबसे उसके साथ चुहलबाजी हमारे रोज की आदत में शामिल था,भीतर जाते ही हम उसके बिस्तरपर पसर गये,
उसने एक नजर मुझें देखा फिर झाडू उठाकर बरामदा साफ करने लगी
"ए संजू अम्मा ने बुलाया है ना ,तू चल मैं आती हूँ"
मैं नहीं उठा,झाडू लगाकर कुमुद मेरे पास आ गई,
"अब पिटोगे मेरे हाथों, चलो बहुत काम है"
"मुझें नहीं जाना,तुझे बुलाया है तू जा,आलू के कुरकुरे बनाने है "
उसने मेरी आँखों में देखा
"पहले तू मेरे बिस्तर से उठ नई चादर है खराब हो जाएगी,दिनभर धूल में खेलता है आकर मेरे बिस्तर का सत्यानाश कर देता है"
मैने उसके बिस्तर पर बिछी नई चादर को देखा और सारा बिस्तर उलट उलट पुलठ दिया वो चिखती चिल्लाती मेरे पीछे दौड़ी,मैं सरपट भागा
तब मेरी उमर दस साल और उसकी बारह साल थी,बचपन की यादें आज भी आती है तो कुमुद का चेहरा नजरों के सामने उस बारह साल की अबोध कुमुद का ही आता है उसके साथ शैतानियों में गुजरे एक एक पल याद आतें है और फिर गंगा यमुना में बाढ आ जाती है।
बात करतें है तबकी जब उसकी शादी तय हो गई, मैं भी तब तक बडा हो गया था,मेरी दसवीं का एग्जाम था और उसका गौना
खुब बाजे बजे,मेहंदी सजी,मंगटिका,कनबाली,हाथशंकर,एक से बढ़कर एक गहने उसकी ससुराल...