...

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भेद

पुरुष
नारी को समझ क्यों नहीं पाता है

क्या इतना कठिन होता है
स्त्रियों को समझना...??

क्या होता है ना, पुरुष, और नारी दोनों का स्ट्रक्चर अलग अलग होता है

कोई भी प्रॉब्लम अगर आ जाती है लाइफ मे तो..
एक पुरुष आपकी प्रॉब्लम मिनटों मे सॉल्व कर देगा...

वो आपसे पूछेगा, कि प्रॉब्लम क्या है
और तुरंत ही, उसके सोलुशन पे फोकस करेगा..
और मिनटो मे आपके प्रॉब्लम को सॉल्व करने लगेगा....

प्रॉब्लम तो सॉल्व हो गई...!!!!

पर यही तो प्रॉब्लम है कि, प्रॉब्लम सॉल्व हो गई..
बिना स्त्री की पूरी रागिनी सुने,
यही तो दुविधा है
मै मानती हूँ की शार्प पुरुषो मे
किसी भी परेशानी को सॉल्व करने की काबलियत होती है.....
पर थोड़ा रुकिए,
आप जिस तरह ईजी होते है
स्त्रिया नहीं होती...
वो तो उलझी होती है विचारों, मे खुद मे
परिस्थिति में...

जरा,इसे ड्रामेटिक अंदाज़ मे लीजिये...
उनके समक्ष बैठ,
उनकी पूरी बात सुन लीजिए
उन्हें पूरा कह लेने दीजिये...

और बाद मे उन्हें सोलुशन दीजिये...

वो आपकी कायल हो जाएगी..

एक बात होती है स्त्रियों मे
वो चाहती है की उन्हें सुना जाये, समझा जाये..
सराहा जाये,
कोई भी रिलेशनशिप मे इमोशनल डिपेंडेंसी जरुरी होती है..
दोनों को एक दूसरे का आधार चाहिए होता है!
पुरुष यही गलती कर देता है
वो बिना, जाने,समझें, सुने
मिनटों मे प्रॉब्लम ख़तम कर देता है..


स्त्री मन ऐसा ही होता है
वो जिस पुरुष को पसंद करती है...
वो चाहती है कि,
वो उनकी छोटी छोटी बातो को नोटिस करें....

एक प्रेमी के रूप मे
वो उसे ढूंढता हुआ जब उनके पास आता है
तो, उन्हें अच्छा लगता है...
उनकी गलियों के 4 चक्कर मारता है, उनकी सिर्फ एक झलक पाने के लिए
यकीन मानिये...
उन्हें, ये सब पसंद आता है

भरी महफिल मे गर
आपकी नज़रे जब उन्हें ढूंढने लगती है,
तो मन मे " माय मैन " की फीलिंग
उनके चेहरे पे... मुस्कान ला देती है

अब ये बाते क्यों...
स्त्रिया होती ही ऐसी...
वो पुरुषों की तरह स्ट्रेट, फारवर्ड नहीं हो सकती...
वो तो जितना आपको करीब पायेगी
आपसे उम्मीदे भी उतना ही रखेंगी
कुछ लोग सोच सकते है
कि, कितनी क्रिटिकल होती है... स्त्रिया !

वो पुरुष वर्ग की तरह बात को सीधे तरीके से क्यों नहीं लेती...?

स्त्रीया भावनात्मक रूप से हर बात से जुड़ी होती है
उनके मन मे क्या चल रहा है, वो चाहती क्या है...
वो सोचती क़िस तरह है... उनकी अपने, पति प्रेमी से क्या उम्मीद है...
ये जान ने के लिए,
उनकी तरह उस पहलु से जुड़ना आवश्यक हो जाता है...
जिस तरह वो जुड़ी होती है.....


स्मृति.