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//पंद्रह साल बाद//
//पंद्रह साल बाद//

दोपहर का वक़्त था, बच्चों को सुलाने के बाद मैं मोबाइल को मेज़ पर रखकर आँखें बंद करके यादों का पंख लिए अपने अतीत के दुनिया में उड़ने लगी, यही तो वो वक्त होता है जो मेरा अपना है, दिन भर में यही तो वो समय होता है, जो मुझको वर्षों पहले खोई हुई प्यार के उस शहर में हर दिन यादों के विमान में चढ़ाकर लिए जाता है मुझको मेरे जज़्बातों की दुनिया में, पर ना जाने क्यों पिछले कई दिनों से मुझे बहुत बेचैनी हो रही थी, दिन भर दिल उसी को याद किए जा रहा था, आज भी जैसे ही मैने अपने अतीत के दरवाज़े पर दस्तक दिया कि तभी अचानक से मेरे फोन की घंटी बज उठी ।
बच्चे फ़ोन की आवाज़ से कहीं जाग ना जाए इसलिए हड़बड़ाहट में जल्दी से मोबाइल को उठाकर मैने बगैर नंबर को जांचें ही 'हेलो' बोल दिया, वहां से आवाज़ आई_ "हेलो! मे आई टॉक विथ मेघा!"? मेरा दिल धड़क उठा, मैं मोबाइल को ठीक से पकड़ कर दूसरे कमरे में जैसे तैसे भागी, मन में कई सवाल उठ रहे थे,ऐसा लगा जैसे ये वही आवाज़ हो जिसे मैं मुदत्तो से सुनना चाहती थी अपने ही कानो पर खुदको यकीन नही हो रहा था, तभी दोबारा से आवाज़ आई... "मेघा ! तुम बोल रही हो ना ", मैने कांपते हुए स्वर में दबी हुई होठों से पूछा- "स.... स...सागर...! आवाज़ आई, "हाँ मेघा मैं"...शुक्र है! तुम्हे मै याद तो हूं "। मेरे पूरे बदन में एक बिजली सी दौड़ गई, मुझे अपने कानों में यकीन नही हो रहा था,आँखों के सामने अंधेरा सा छाने लगा था, पांव जमीन पर धंसता जा रहा था और दिमाग सुन होने लगा था, वो एक साथ ना जाने कितने सारे सवालों पे सवाल पूछा जा रहा था, पर मैं आँखें बंद करके बहते हुए आँसुओ के साथ उसके आवाज़ को महसूस किए जा रही थी, ऐसा लग रहा था वक़्त यहीं ठहर जाए। पूरे पंद्रह वर्ष के बाद मैं आज उसके आवाज़ को दोबारा सुन रही थी, ऐसा लग रहा था मेरे अंदर की भावनाओं की नदी को वक़्त के बनाए बाँध ने, जो अब तक रोके रखा था, वो बाँध अचानक से आज टूट गया हो और आँखों से आंसुओं का सैलाब बरस पड़ा हो। मैने बड़ी मुश्किल से ख़ुद को संभालते हुए धीरे से पूछा - तु ..म ज़िं..दा हो!
आवाज़ आई,- "व्हाट"!!!! मैने ज़ोर -ज़ोर से रोते हुए कहा-...