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आम तकिया
कभी तकिये को देखा है-ना ना प्रकार के आते हैं--जो सबसे ज़्यादा महंगा है कहते हैं उसमे याददाश्त है-तो हम भी ले आये एक--पर ज़रा सोचो-एक आम तकिया चाहे जैसे सो लो-वैसे ही दब जाता है--पर ये जनाब तो अलग हैं-इन्हे वक़्त लगता है दबने मे--और जब आप करवट लेते है तो ये जनाब कहते हैं-अब हम नहीं बदलेंगे क्युंकि पुरानी याद अभी ताज़ा है--अब आप ही कहिये-वो बेचारा सस्ता तकिया ज़्यादा आज्ञाकारी हुआ या ये महंगे जनाब-कुछ हम आम लोगो जैसी कहानी है इस आम तकिये की--है ना-
© mayank