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शर्त
चंदन और आनंद बहुत अच्छे दोस्त थे लेकिन दोनो सौभाव से एक दूसरे से बहुत ही भिन्न थे ।
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा।
लेकिन हवेली में घुसना उतना आसान नहीं था बाहर में कड़ी पहरा और दीवार में कटीले कील लगे हुए थे वो अंदर घुसता भी तो घुसता कैसे ?
उसने द्वार पाल से कहा की मुझे अंदर जाने दे लेकिन उसने चंदन को वही रोक दिया क्योंकि चंदन गुस्सैल सौभाव का था और वो सबसे गुस्सा और निर्ममता से बात करता और आनद उसके विपरीत सौभाव का था ।
चंदन को जब अंदर जाने नही दिया गया तो उसने जिद्द कर ली वो अंदर जा के रहेगा और उसने वैसे ही किया वो अंदर गया परंतु हवेली के नौकरों ने उसे देख लिया और उसे मालिक के पास ले गए जब आनंद को इस बारे में पता चला तो वो हवेली के अंदर घुस गया और मालिक को सारी बात बताई मालिक ने जब चंदन की शर्त लगाने वाली बुरी आदत के बारे जाना तो मालिक ने चंदन से एक वचन लिया की वो आज के बाद कभी किसी से दुर्व्यवहार नही करेगा और कभी किसी से शर्त नहीं लगाएगा और उसके बाद मालिक ने दोनो दोस्तो को छोड़ दिया ।।
© Namrata Mahato